
नई
दिल्ली.
गोंडा-गोरखपुर
रेल
खंड
के
बीच
डिब्रूगढ़
एक्सप्रेस
हादसा
जहां
पर
हुआ
है,
वहां
से
कुछ
दूर
पहले
ट्रैक
पर
काम
चल
रहा
था.
यही
वजह
है
कि
गुजरने
वाली
ट्रेनों
को
कॉशन
दिया
गया
था.
डिब्रूगढ़
एक्सप्रेस
भी
वहां
से
कॉशन
से
लेकर
निकली
और
स्पीड
पकड़ने
ही
पटरी
से
उतर
गयी.
रेलवे
ने
इस
मामले
में
सीआरएस
जांच
के
आदेश
दे
दिए
हैं.
सूत्रों
के
अनुसार
638/19
किमी.
पर
ट्रेन
हादसा
हुआ
है,
जबकि
634
किमी.
पर
कॉशन
दिया
गया
था.
जिसके
अनुसार
ट्रेनों
की
स्पीड
20
किमी.
प्रति
घंटे
से
ज्यादा
नहीं
होनी
चाहिए.
ट्रेन
यहां
से
ठीक-ठाक
गुजरी
है.
लोको
पायलट
ने
कॉशन
पार
करते
ही
स्पीड
बढ़ा
दी.
क्योंकि
जब
ट्रेन
हादसा
हुआ,
उस
समय
ट्रेन
की
स्पीड
80
किमी.
प्रति
घंटे
थी.
ऐसी
भी
संभावना
व्यक्त
की
जा
रही
है
कि
घटनास्थल
के
आसपास
ट्रैक
पर
कुछ
काम
तो
नही
चल
रहा
था.
हालांकि
रेलवे
ने
इसकी
पुष्टि
नहीं
की
है.
इस
संबंध
में
रेलवे
बोर्ड
के
एक्स
मेंबर
सिंगनिंग
एंड
ट्रैफिक
प्रदीप
कुमार
ने
बताया
कि
कभी-कभार
इंजन
पर
लगी
मोटर
नीचे
गिरने
की
घटनाएं
भी
हुई
हैं.
जिससे
ट्रेन
के
पटरी
से
उतरने
की
आशंका
रहती
है.
हालांकि
ऐसे
मामले
सामान्य
तौर
पर
नहीं
होते
हैं.
इस
मामले
में
लोकोपायलट
ने
धमाके
जैसी
आवाज
सुनी
है.
वहीं,
स्थानीय
पुलिस
को
शुरुआती
जांच
में
आसपास
से
विस्फोटक
जैसी
चीज
नहीं
मिली
है.
इसलिए
मोटर
गिरने
की
आशंका
से
भी
इंकार
नहीं
किया
जा
सकता
है.
वहीं,
एक्सपर्ट
इस
पर
भी
आशंका
जाहिर
कर
रहे
हैं
कि
जहां
पर
हादसा
हुआ
है,
वहां
पर
ट्रैक
के
आसपास
पानी
भरा
है.
कई
बार
पानी
भरने
की
वजह
से
किसी
प्वाइंट
पर
ट्रैक
के
कमजोर
होने
की
आशंका
रहती
है.
रेल
मैन्युअल
के
अनुसार
जब
कहीं
(20-30
मीटर)
ट्रैक
पर
मीटर
पानी
भर
जाता
है
तो
इन
हालातों
में
एक
रेलवे
कर्मी
पायलटिंग
करते
हुए
आगे
चलता
है
और
ट्रैक
पूरी
से
सुरक्षित
होने
की
जांच
के
बाद
भी
ट्रेन
को
वहां
से
निकालने
की
अनुमति
देता
है.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
19,
2024,
09:40
IST