Explainer: कर्क रेखा वाली जगहें गर्मी में क्यों करने लगती हैं त्राहि-त्राहि, जानें क्या है वजह

Explainer: कर्क रेखा वाली जगहें गर्मी में क्यों करने लगती हैं त्राहि-त्राहि, जानें क्या है वजह



Tropic
of
Cancer:

कुछ
इलाकों
को
अगर
छोड़
दें
तो
पूरा
भारत
गर्मी
में
बुरी
तरह
तप
रहा
है.
भारत
के
कुछ
हिस्सों
में
पड़ने
वाली
गर्मी
की
एक
वजह
कर्क
रेखा
का
यहां
से
गुजरना
भी
है.
दरअसल
कर्क
रेखा
पर
पड़ने
वाली
जगहों
पर
जलवायु
गर्म
और
शुष्क
होती
है.
कर्क
रेखा
पर
पड़ने
वाली
जगहों
पर
चिलचिलाती
गर्मी
और
गर्म
सर्दियां
होती
हैं.
कर्क
रेखा,
जो
23°30′
उत्तरी
अक्षांश
पर
स्थित
है,
भूमध्य
रेखा
के
समानांतर
एक
काल्पनिक
रेखा
है.
सूर्य
21
जून
को
इस
रेखा
पर
सीधा
चमकता
है,
जिसके
कारण
इस
क्षेत्र
में
साल
का
सबसे
लंबा
दिन
होता
है. 


कर्क
रेखा
के
आसपास
के
क्षेत्र
गर्म
होने
के
कई
कारण
हैं:


  1. सूर्य
    का
    विकिरण:


    कर्क
    रेखा
    के
    पास,
    सूर्य
    की
    किरणें
    पृथ्वी
    की
    सतह
    पर
    अधिक
    सीधे
    पड़ती
    हैं.
    इसका
    मतलब
    है
    कि
    वे
    कम
    दूरी
    तय
    करते
    हुए
    अधिक
    ऊर्जा
    जमा
    करती
    हैं.
    इससे
    तापमान
    में
    वृद्धि
    होती
    है.

  2. दिन
    की
    अवधि:


    जून
    में,
    कर्क
    रेखा
    के
    आसपास
    के
    क्षेत्रों
    में
    दिन
    रात
    से
    काफी
    लंबे
    होते
    हैं.
    इसका
    मतलब
    है
    कि
    धरती
    के
    पास
    सूर्य
    के
    प्रकाश
    और
    उसकी
    ऊष्मा
    को
    अवशोषित
    करने
    के
    लिए
    अधिक
    समय
    होता
    है.

  3. वायुमंडलीय
    दबाव:


    कर्क
    रेखा
    के
    ऊपर,
    वायुमंडलीय
    दबाव
    कम
    होता
    है.
    कम
    दबाव
    वाला
    वायुमंडल,
    गर्मी
    को
    अधिक
    ऊंचाई
    तक
    जाने
    देता
    है,
    जिससे
    सतह
    का
    तापमान
    बढ़
    जाता
    है.

  4. हवाओं
    का
    प्रभाव:


    कर्क
    रेखा
    के
    क्षेत्रों
    में,
    शुष्क
    हवाएं
    चलती
    हैं.
    ये
    हवाएं
    नमी
    को
    कम
    करती
    हैं,
    जिससे
    वाष्पीकरण
    बढ़
    जाता
    है
    और
    सतह
    का
    तापमान
    और
    भी
    अधिक
    बढ़
    जाता
    है.

  5. महासागरीय
    धाराओं
    का
    प्रभाव:


    कर्क
    रेखा
    के
    पास,
    गर्म
    महासागरीय
    धाराएं
    बहती
    हैं.
    ये
    धाराएं
    अपने
    साथ
    गर्म
    पानी
    लाती
    हैं,
    जो
    हवा
    को
    गर्म
    करती
    हैं
    और
    तापमान
    में
    वृद्धि
    करती
    हैं. 


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इन
सभी
कारकों
का
सम्मिलित
प्रभाव
कर्क
रेखा
के
आसपास
के
क्षेत्रों
को
गर्म
बनाता
है.
यह
ध्यान
रखना
महत्वपूर्ण
है
कि
कर्क
रेखा
के
सभी
क्षेत्र
समान
रूप
से
गर्म
नहीं
होते
हैं.
ऊंचाई,
वर्षा,
और
वनस्पतियों
जैसे
अन्य
कारक
भी
तापमान
को
प्रभावित
करते
हैं.


कर्क
रेखा
के
करीब
रहता
है
सूर्य



सूर्य
21
मार्च
से
23
सितंबर
तक
उत्तरी
गोलार्ध
में
रहता
हैं.
इस
अवधि
में
उत्तरी
गोलार्ध
में
गर्मी
पड़ती
हैं.
चूंकि
पृथ्वी
अपने
अक्ष
पर
23°30`
झुकी
हुई
हैं
और
पृथ्वी
का
यह
झुकाव
सूर्य
की
तरफ
हैं,
इसलिए
इस
अवधि
में
सूर्य,
कर्क
रेखा
के
सबसे
करीब
रहता
है.
इसलिए
कर्क
रेखा
के
अंतर्गत
आने
वाले
राज्यों
तथा
देशों
में
गर्मी
अधिक
पड़ती
है.


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आठ
राज्यों
से
गुजरती
है
यह
रेखा


यह
रेखा
भारत
के
बीच
से
होकर
गुजरती
है.अगर
आप
इस
काल्पनिक
रेखा
को
पृथ्वी
के
चारों
ओर
चलाते
हैं
तो
यह
17
देशों
से
होकर
गुजरती
है,
भारत
उनमें
से
एक
है.
भारत
में
कर्क
रेखा
आठ
राज्यों
से
होकर
गुजरती
है.
ये
हैं
गुजरात
(जसदण),
राजस्थान
(कालिंजर),
मध्य
प्रदेश
(शाजापुर),
छत्तीसगढ़
(सोनहत),
झारखंड
(लोहरदगा),
पश्चिम
बंगाल
(कृष्णानगर),
त्रिपुरा
(उदयपुर)
और
मिजोरम
(चंफाई).
मेक्सिको,
लीबिया,
बहामास,
भारत,
ओमान,
माली,
चीन,
संयुक्त
अरब
अमीरात,
चीन,
सऊदी
अरब,
मिस्र,
पश्चिमी
सहारा,
अल्जीरिया
आदि
ऐसे
देश
हैं
जो
कर्क
रेखा
पर
आते
हैं. 


इसकी
वजह
से
पूर्वोत्तर
भी
गर्म


त्रिपुरा
में
उदयपुर,
कर्क
रेखा
के
निकटतम
शहर
है.
त्रिपुरा,
भले
ही
भारत
के
उत्तरपूर्वी
हिस्से
के
अंतर्गत
आता
है,
लेकिन
एक
गर्म
स्थान
है.
पूर्वोत्तर
में
गर्म
स्थानों
की
बात
करें
तो
मिजोरम
बाकी
देश
के
गर्म
स्थानों
को
कड़ी
टक्कर
देता
है.
क्योंकि
यह
राज्य
इंडो-म्यांमार
सीमा
पर
पड़ता
है,
और
कर्क
रेखा
भी
गुजरती
है.
भारत
में
उत्तर
से
दक्षिण
तक
कर्क
रेखा
की
अधिकतम
लंबाई
3214
किमी
और
पूर्व
से
पश्चिम
तक
अधिकतम
चौड़ाई
2933
किमी
है.
कर्क
रेखा
की
लंबाई
राजस्थान
में
सबसे
कम
और
मध्य
प्रदेश
में
सबसे
अधिक
है.

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