नई
दिल्ली.
विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर
ने
भारत
के
हाथ
से
पाकिस्तान
अधिकृत
कश्मीर
(POK)
जाने
के
लिए
तत्कालीन
पीएम
जवाहरलाल
नेहरू
पर
निशाना
साधा.
विदेश
मंत्री
ने
कहा
कि
किसी
की
कमजोरी
या
गलती
से
हमें
कश्मीर
का
एक
हिस्सा
गंवाना
पड़ा.
जयशंकर
से
‘विश्वबंधु
भारत’
नामक
एक
कार्यक्रम
में
के
दौरान
पूछा
गया
कि
अगर
भारत
लक्ष्मण
रेखा
लांघता
है
और
पीओके
को
भारत
संघ
में
जोड़
लेता
है
तो
चीन
की
ओर
से
संभावित
प्रतिक्रिया
क्या
होगी?
यह
देखते
हुए
कि
चीन-पाकिस्तान
इकोनॉमिक
कॉरिडोर
(CPEC)
पाकिस्तान
के
कब्जे
वाले
गिलगित
बाल्टिस्तान
से
होकर
गुजरता
है.
विदेश
मंत्रालयी
ने
भारत
के
कार्यों
को
सीमित
करने
वाली
लक्ष्मण
रेखा
की
धारणा
को
खारिज
कर
दिया
और
कहा,
”मुझे
नहीं
लगता
कि
‘लक्ष्मण
रेखा’
जैसी
कोई
चीज
है.
मुझे
लगता
है
कि
पीओके
भारत
का
हिस्सा
है
और
किसी
की
कमजोरी
या
गलती
के
कारण
यह
अस्थायी
रूप
से
हमसे
दूर
हो
गया
है.”
एस
जयशंकर
ने
कहा,
“मैं
चीन
का
राजदूत
था,
और
हम
सभी
चीन
की
पिछली
हरकतों
और
पाकिस्तान
के
साथ
मिलकर
काम
करने
के
बारे
में
जानते
हैं.
इसका
पुराना
इतिहास
है.
हमने
उन्हें
बार-बार
बताया
कि
यह
जमीन
न
तो
पाकिस्तान
और
न
ही
चीन
की
है.
चीन
इसपर
अपना
दावा
करता
है.
यदि
कोई
संप्रभु
दावेदार
है
तो
वो
भारत
है.
आप
कब्जा
कर
रहे
हैं,
आप
वहां
निर्माण
कर
रहे
हैं,
लेकिन
कानूनी
स्वामित्व
हमारा
है.”
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है
भारत
के
स्नेकमैन
की
कहानी
1993
का
पाकिस्तान-चीन
सीमा
समझौता…
जयशंकर
ने
बीजिंग
और
इस्लामाबाद
के
बीच
1963
के
सीमा
समझौते
की
ओर
भी
इशारा
किया.
तब
पाकिस्तान
ने
लगभग
5,000
किलोमीटर
जमीन
चीन
को
सौंप
दी
थी.
उन्होंने
कहा,
“1963
में
पाकिस्तान
और
चीन
अपनी
दोस्ती
को
आगे
बढ़ाने
के
लिए
सहमत
हुए
और
चीन
को
करीब
रखने
के
लिए
पाकिस्तान
ने
अपने
कब्जे
वाले
लगभग
5,000
किमी
क्षेत्र
को
चीन
को
सौंप
दिया.
उस
समझौते
में
लिखा
है
कि
अंततः
चीन
इस
बात
का
सम्मान
करेगा
कि
यह
क्षेत्र
”पाकिस्तान
का
है
या
या
भारत
का.
कभी-कभी
लोग
सिर्फ
क्षेत्र
हड़प
लेते
हैं
और
फिर
बात
ऐसे
करते
हैं
कि
इसका
समाधान
कैसे
किया
जाए.”
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FIRST
PUBLISHED
:
May
16,
2024,
18:29
IST