UPSC Story: ISRO में साइंटिस्ट, यूपीएससी परीक्षा में 4 बार सफल, नहीं मिली कोई सर्विस, 14 की उम्र से हैं दिव्यांग

UPSC Story: ISRO में साइंटिस्ट, यूपीएससी परीक्षा में 4 बार सफल, नहीं मिली कोई सर्विस, 14 की उम्र से हैं दिव्यांग


नई
दिल्ली
(Kartik
Kansal
UPSC
Story)
.
महाराष्ट्र
कैडर
की
ट्रेनी
आईएएस
अधिकारी
पूजा
खेडकर
चर्चा
में
हैं
(IAS
Puja
Khedkar).
जांच
में
सामने
आया
है
कि
उन्होंने
फर्जी
सर्टिफिकेट
बनवाकर
सरकारी
नौकरी
हासिल
की.
इसी
बीच
यूपीएससी
के
एक
अन्य
कैंडिडेट
का
मामला
भी
सुर्खियों
में
छाया
हुआ
है.
हम
बात
कर
रहे
हैं
इसरो
में
साइंटिस्ट
कार्तिक
कंसल
की.
वह
4
बार
यूपीएससी
परीक्षा
पास
कर
चुके
हैं
लेकिन
फिर
भी
उन्हें
किसी
सर्विस
में
अलॉटमेंट
नहीं
मिला.

इसरो
साइंटिस्ट
कार्तिक
कंसल
की
कहानी
काफी
मोटिवेशनल
है
(Kartik
Kansal
ISRO).
उनकी
योग्यता
उनकी
दिव्यांगता
को
मात
देती
है.
उनकी
उड़ान
के
आगे
हर
कमजोरी
पीछे
छूट
जाती
है.
कार्तिक
कंसल
डिसेबिलिटी
की
PwBD-1
श्रेणी
में
आते
हैं.
वह
उत्तराखंड
के
रुड़की
के
रहने
वाले
हैं.
कार्तिक
मस्कुलर
डिस्ट्रॉफी
से
पीड़ित
हैं.
इस
बीमारी
में
समय
के
साथ
मांसपेशियां
कमजोर
होती
जाती
हैं.
बता
दें
कि
वह
14
साल
की
उम्र
से
व्हीलचेयर
पर
हैं.
वह
पढ़ाई-लिखाई
में
होशियार
और
मन
से
बहुत
मजबूत
हैं.


Kartik
Kansal
Biography:
कौन
हैं
कार्तिक
कंसल?

कार्तिक
कंसल
ने
आईआईटी
रुड़की
से
मैकेनिकल
इंजीनियरिंग
में
बीटेक
की
डिग्री
हासिल
की
है.
फिल्हाल
वह
इसरो
में
साइंटिस्ट
के
तौर
पर
नौकरी
कर
रहे
हैं.
ऑल
इंडिया
सेंट्रल
रिक्रूटमेंट
के
जरिए
उनका
चयन
भारतीय
स्पेस
रिसर्च
ऑर्गनाइजेशन
में
हुआ
था.
8
साल
की
उम्र
में
उन्हें
मस्कुलर
डिस्ट्रॉफी
का
पता
चला.
इसकी
वजह
से
वह
14
साल
की
उम्र
से
व्हीलचेयर
का
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं.
यह
बीमारी
जेनेटिक
बताई
जा
रही
है
और
इसका
इलाज
मुमकिन
नहीं
है.


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Kartik
Kansal
UPSC:
यूपीएससी
परीक्षा
में
4
बार
सफल

यूपीएससी
सिविल
सर्विस
परीक्षा
दुनिया
की
सबसे
कठिन
परीक्षाओं
की
लिस्ट
में
शामिल
है.
इसे
पास
कर
पाना
आसान
नहीं
है.
कुछ
कैंडिडेट्स
को
यूपीएससी
सीएसई
पास
करने
में
कई
सालों
का
वक्त
लग
जाता
है.
लेकिन
कार्तिक
कंसल
ने
कई
सालों
तक
लगातार
इस
परीक्षा
में
सफलता
हासिल
की.
इससे
पता
चलता
है
कि
वह
कितने
होशियार,
मेहनती
और
दृढ़
निश्चयी
हैं.
उन्होंने
2019
(रैंक
813),
2021
(रैंक
271),
2022
(रैंक
784)
और
2023
(
रैंक
829)
में
सिविल
सेवा
परीक्षा
पास
की
थी.


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IAS
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Kartik
Kansal
Motivational
Story:
किसी
सर्विस
में
चयन
क्यों
नहीं
हुआ?

कार्तिक
कंसल
के
दिव्यांगता
सर्टिफिकेट
में
कहा
गया
था
कि
वह
60%
दिव्यांग
हैं,
लेकिन
एम्स
बोर्ड
की
जांच
में
90%
दिव्यांगता
की
पुष्टि
हुई
है.
संघ
लोक
सेवा
आयोग
ने
मस्कुलर
डिस्ट्रॉफी
को
भारतीय
राजस्व
सेवा
(इनकम
टैक्स)
ग्रुप

और
भारतीय
राजस्व
सेवा
(कस्टम
एंड
एक्साइज)
के
लिए
पात्र
उम्मीदवारों
की
सेवा
शर्तों
में
शामिल
किया
था.
कार्तिक
कंसल
ने
अपनी
वरीयता
सूची
में
इन
सेवाओं
का
चयन
किया
था,
लेकिन
फिर
भी
उन्हें
नियुक्ति
नहीं
मिली.


Kartik
Kansal
UPSC:
वैकेंसी
के
बावजूद
नहीं
हुआ
सेलेक्शन

2019
में
813वीं
रैंक
के
साथ
कार्तिक
कंसल
को
सर्विस
अलॉट
की
जा
सकती
थी.
उस
साल
लोकोमोटर
डिसेबिलिटी
के
तहत
15
वैकेंसी
थीं,
जिनमें
से
14
पदों
पर
नियुक्ति
हो
पाई
थी.
फिर
2021
में
लोकोमोटर
डिसेबिलिटी
कैटेगरी
में
7
पदों
में
से
सिर्फ
4
पद
ही
भरे
गए.
कार्तिक
कंसल
इस
कैटेगरी
में
पहली
पोजिशन
पर
थे,
लेकिन
फिर
भी
उन्हें
निराशा
मिली.
2021
में
उनकी
रैंक
बेस्ट
थी
और
आईएएस
के
लायक
भी
मगर
तब
UPSC
ने
मस्कुलर
डिस्ट्रॉफी
को
IAS
के
लिए
पात्र
उम्मीदवारों
की
सेवा
शर्तों
में
शामिल
नहीं
किया
था.


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Kartik
Kansal
CAT:
कैट
में
पेंडिंग
है
कार्तिक
का
केस

कार्तिक
कंसल
सेंट्रल
एडमिनिस्ट्रेटिव
ट्रिब्यूनल
(CAT)
में
अपना
केस
लड़
रहे
हैं.
2021
से
उनके
UPSC
रिजल्ट
के
आधार
पर
मामला
कैट
में
पेंडिंग
है.
यूपीएससी
नोटिफिकेशन
2021
के
अनुसार,
डिसएबिलिटी
मानदंड
2
चीजों-
फंक्शनल
क्लासिफिकेशन
और
फिजिकल
रिक्वायरमेंट
पर
आधारित
है.
आवंटन
की
प्रक्रिया
के
दौरान,
DoPT
मे
कार्तिक
को
बताया
कि
उनकी
फंक्शनल
क्लासिफिकेशन
और
फिजिकल
रिक्वायरमेंट
उस
सेवा
की
आवश्यकताओं
के
मुताबिक
नहीं
हैं,
जिसके
लिए
उन्होंने
आवेदन
किया
था.

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