क्या कांग्रेस के चाणक्य डीके शिवकुमार के किले को भेद पाएंगे कार्डियोलॉजिस्ट मंजूनाथ? बेंगलुरु ग्रामीण सीट पर दे रहे हैं टक्कर

क्या कांग्रेस के चाणक्य डीके शिवकुमार के किले को भेद पाएंगे कार्डियोलॉजिस्ट मंजूनाथ? बेंगलुरु ग्रामीण सीट पर दे रहे हैं टक्कर
क्या कांग्रेस के चाणक्य डीके शिवकुमार के किले को भेद पाएंगे कार्डियोलॉजिस्ट मंजूनाथ? बेंगलुरु ग्रामीण सीट पर दे रहे हैं टक्कर


डीके
शिवकुमार
और
कार्डियोलॉजिस्ट
मंजूनाथ.

400
के
टारगेट
को
पूरा
करने
के
लिए
इस
बार
बीजेपी
ने
जेडीएस
के
साथ
मिलकर
बेंगलुरु
ग्रामीण
सीट
की
भी
किलेबंदी
कर
ली
है
और
इस
बार
इस
गढ़
पर
फतह
के
लिए
बीजेपी
ने
एक
ऐसे
डॉक्टर
को
मैदान
में
उतारा
है,
जिनकी
व्यक्तिगत
छवि
का
लोगों
के
बीच
जबरदस्त
असर
है.
कांग्रेस
की
मजबूत
चट्टान
समझे
जाने
वाले
डीके
शिवकुमार
और
उनके
छोटे
भाई
डीके
सुरेश
के
लिए
इस
बार
परीक्षा
की
घड़ी
है.
कांग्रेस
अपने
इस
गढ़
को
एक
बार
फिर
बचा
लेगी
या
इस
बार
बीजेपी
और
जेडीएस
मिलकर
इसे
डीके
ब्रदर
से
छीन
लेंगे.

बेंगलुरु
ग्रामीण
सीट
पर
मुकाबला
कांग्रेस
के
चाणक्य
और
बीजेपी
के
रिसोर्सेस
के
बीच
है.
बेंगलुरु
ग्रामीण
में
इस
बार
मैदान
में
बीजेपी
से
डॉक्टर
सीएन
मंजूनाथ
और
कांग्रेस
से
डीके
सुरेश
मैदान
में
है.
सीएन
मंजूनाथ
पॉलिटिकल
फैमिली
से
संबंध
रखने
वाले
नॉन
पॉलिटिकल
चेहरा
है
तो
डीके
सुरेश
अब
राजनीति
में
मंज
चुके
हैं.

बीजेपी
उम्मीदवार
डॉक्टर
सीएन
मंजूनाथ
कर्नाटक
के
जाने-माने
कार्डियोलॉजिस्ट
हैं
और
पूर्व
प्रधानमंत्री
एसडी
देवेगौड़ा
के
दामाद
हैं.
डॉक्टर
सीएन
मंजुनाथ
2007
में
पद्मश्री
से
सम्मानित
किए
गए
थे.
जबकि
डीके
सुरेश
डिप्टी
सीएम
डीके
शिवकुमार
के
भाई
और
बेंगलुरु
ग्रामीण
से
तीन
बार
चुनाव
जीत
चुके
हैं.

ये
भी
पढ़ें

सीट
का
सियासी
समीकरण

इस
सीट
की
अगर
बात
करें
तो
परिसीमन
के
बाद
2008
में
यह
सीट
अस्तित्व
में
आई.
2009
में
पहले
चुनाव
में
जेडीएस
के
एसडी
कुमारस्वामी
यहां
से
जीते.
2013
के
उपचुनाव
में
कांग्रेस
से
डीके
सुरेश
जीते.
2014
और
2019
में
फिर
से
डीके
सुरेश
को
जीत
मिली.
डिप्टी
सीएम
डीके
शिवकुमार
यहां
की
कनकपुरा
विधानसभा
सीट
से
एमएलए
हैं.
बेंगलुरु
ग्रामीण
लोकसभा
सीट
में
वोक्कालिंगा
वोटर
बड़ी
संख्या
में
है.
बेंगलुरु
में
पूरी
पॉलिटिक्स
वोक्कालिंगा
के
इर्दगिर्द
घूमती
है.
बेंगलुरु
ग्रामीण
में
अगर
कास्ट
इक्वेशन
की
बात
करें
तो
यहां
वोक्कालिंगा
वोटर
करीब
5.5
लाख
हैं,
जबकि
एससी-एसटी
वोटर
2.5
लाख
के
करीब
हैं.
वहीं,
2
लाख
लिंगायत
वोटर
हैं,
जबकि
मुस्लिम
वोटर
डेढ़
लाख
और
कुरबा
वोटर
भी
एक
लाख
से
ज्यादा
हैं.

वोक्कालिंगा
वोटरों
का
दबदबा

डॉक्टर
से
पॉलिटिशियन
बने
सीएन
मंजूनाथ
भी
वोक्कालिंगा
समुदाय
से
आते
हैं.
डॉक्टर
सीएन
मंजूनाथ
कांग्रेस
के
रणनीतिकार
डीके
शिवकुमार
के
गढ़
में
उनके
भाई
को
चुनौती
दे
रहे
हैं.
मंजूनाथ
के
लिए
2
अप्रैल
को
अमित
शाह
ने
कर्नाटक
में
अपने
अभियान
की
शुरुआत
बेंगलुरु
ग्रामीण
लोकसभा
सीट
से
ही
की.
दरअसल
बेंगलुरु
ग्रामीण
के
नतीजे
तय
करेंगे
कि
वोक्कालिंगा
किसके
साथ
है.
दक्षिण
कर्नाटक
में
वोक्कालिंगा
समुदाय
का
प्रभाव
है
और
इनका
कर्नाटक
की
100
विधानसभा
सीटों
पर
असर
है.
डीके
शिवकुमार
और
देवगौड़ा
परिवार
इस
पर
दावेदारी
करते
हैं.
कर्नाटक
में
लिंगायत
के
बाद
वोक्कालिंगा
दूसरा
सबसे
बड़ा
समुदाय
है.
इस
फैक्टर
को
बीजेपी
अच्छे
से
समझती
है,
इसलिए
इस
बार
के
चुनाव
में
बीजेपी
जेडीएस
को
साथ
ले
आई.

2019
में
कांग्रेस-जेडीएस
में
हुआ
था
गठबंधन

2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
और
जेडीएस
का
गठबंधन
था,
तब
जेडीएस
के
वोट
कांग्रेस
में
शिफ्ट
हुए
थे,
लेकिन
कांग्रेस
के
वोट
जेडीएस
को
नहीं
मिले
थे.
बीजेपी
को
तब
भी
2019
में
6
लाख
70
हजार
483
वोट
बेंगलुरु
ग्रामीण
से
मिले
थे
और
अब
2024
में
जेडीएस-बीजेपी
साथ
चुनाव
लड़
रही
है.
जेडीएस
के
वोटर
के
साथ
आने
से
मंजुनाथ
की
स्थिति
मजबूत
होगी.
डीके
सुरेश
को
बेंगलुरु
ग्रामीण
के
वोटर्स
ने
तीन
मौके
दिए,
इसलिए
इस
बार
यहां
पर
चुनाव
काफी
दिलचस्प
होगा.