

सारण
से
चुनाव
लड़ेंगी
लालू
की
बेटी
रोहिणी
आचार्य
आरजेडी
सुप्रीमो
लालू
प्रसाद
यादव
की
बेटी
रोहिणी
आचार्य
मिशन
2024
में
जुट
गई
हैं.
रोहिणी
आचार्य
आज
से
सारण
लोकसभा
सीट
में
चुनाव
प्रचार
और
जनसंपर्क
अभियान
की
शुरुआत
कर
दी
है.
कैंपेन
शुरू
करने
से
पहले
रोहिणी
आचार्य
पिता
लालू
प्रसाद
यादव
और
मां
रावड़ी
देवी
समेत
परिवार
के
साथ
सोनपुर
के
हरिहरनाथ
मंदिर
पहुंची,
जहां
उन्होंने
भगवान
भोलेनाथ
का
रुद्राभिषेक
कर
पूजा
अर्चना
की.
पूजा
के
बाद
लालू
यादव
ने
रोहिणी
की
जीत
की
भविष्यवाणी
कर
दी.
लालू
ने
कहा
कि
यह
रोहिणी
आचार्य
की
सारण
में
एंट्री
नहीं,
उनका
विजय
जुलूस
है.
रोहिणी
वैसे
तो
सियासी
लाइमलाइट
से
दूर
रही
हैं,
लेकिन
पिता
को
किडनी
देने
के
बाद
सुर्खियों
में
आईं.
44
साल
की
रोहिणी
आचार्य
की
शादी
2002
में
हुई
थी
तब
बिहार
में
राबड़ी
देवी
मुख्यमंत्री
थीं.
रोहिणी
ने
जमशेदपुर
से
एमबीबीएस
की
पढ़ाई
की
है.
रोहिणी
की
शादी
उनके
एमबीबीएस
कंप्लीट
होने
से
पहले
ही
हो
गई
थी.
उनके
पति
समरेश
सिंह
सॉफ्टवेयर
इंजीनियर
हैं.
समरेश
के
पिता
लालू
के
कॉलेज
के
जमाने
के
मित्र
रहे
हैं.
समरेश
सिंगापुर
की
कंपनी
में
बड़े
पद
पर
हैं
और
लालू
की
किडनी
का
इलाज
भी
सिंगापुर
में
हुआ
था.
रोहिणी
आचार्य
की
राजनीति
में
एंट्री
रोहिणी
आचार्य
लालू
यादव
की
दूसरी
बेटी
हैं.
बड़ी
बेटी
मीसा
भारती
राज्यसभा
की
सांसद
है
और
वह
तीसरी
बार
पाटलीपुत्र
लोकसभा
सीट
से
चुनाव
लड़ने
की
तैयारी
कर
रही
हैं,
जबकि
रोहिणी
अब
तक
ना
तो
कोई
चुनाव
लड़ी
है
और
ना
ही
कभी
चुनाव
प्रचार
में
सक्रिय
तौर
पर
नजर
आई
हैं.
यह
पहला
मौका
है
जब
लालू
रोहिणी
को
चुनावी
अखाड़े
में
उतार
रहे
हैं.
लालू
प्रसाद
यादव
ने
अपने
करियर
की
शुरुआत
जिस
सीट
से
की
थी,
उसी
सीट
से
रोहिणी
आचार्य
अपना
भाग्य
आजमाएंगी.
लालू
यादव,
राबड़ी
देवी,
तेज
प्रताप
यादव,
तेजस्वी
यादव
और
मीशा
भारती
के
बाद
लालू
की
बेटी
रोहिणी
आचार्य
भी
राजनीति
के
मैदान
में
उतर
गई
हैं.
आरजेडी
ने
लोकसभा
चुनाव
में
रोहिणी
आचार्य
को
सारण
लोकसभा
सीट
से
प्रत्याशी
बनाया
है.
फिलहाल
रोहिणी
के
पिता
लालू
पार्टी
के
अध्यक्ष
हैं.
मां
राबड़ी
देवी
विधान
परिषद
में
नेता
विपक्ष
हैं.
भाई
तेजस्वी
विधानसभा
में
नेता
विपक्ष
है.
भाई
तेज
प्रताप
यादव
आरजेडी
के
विधायक
हैं.
बहन
मीसा
भारती
राज्यसभा
की
सांसद
है.
ये
भी
पढ़ें
लालू
ने
लड़ा
था
सारण
से
पहला
चुनाव
1977
में
लालू
पहली
बार
सारण
से
ही
लोकसभा
का
चुनाव
लड़े
थे
और
जीतकर
सांसद
भी
बने,
तब
इस
सीट
का
नाम
छपरा
हुआ
करता
था.
1990
में
जब
लालू
बिहार
के
मुख्यमंत्री
बने
तब
भी
वह
छपरा
से
ही
सांसद
थे.सारण
लोकसभा
में
विधानसभा
की
छह
सीटें
हैं,
इनमें
से
तीन
पर
आरजेडी
और
तीन
पर
बीजेपी
का
कब्जा
है.
2019
के
लोकसभा
चुनाव
नतीजों
की
बात
करें
तो
बीजेपी
को
499000
वोट
मिले
थे
जबकि
आरजेडी
को
यहां
360000
वोट
मिले
थे.
बेटी
रोहिणी
के
जरिए
लालू
की
कोशिश
अपनी
इस
पुरानी
सीट
पर
बीजेपी
को
मात
देने
की
है.
सारण
लोकसभा
क्षेत्र
में
राजपूत
और
यादव
वोटर
अच्छी
संख्या
में
है.
2009
में
लालू
यादव
आखिरी
बार
इस
सीट
से
चुनाव
जीते
थे.
वहीं
2014
में
रावड़ी
देवी
को
इस
सीट
से
उम्मीदवार
बनाया,
लेकिन
बीजेपी
के
राजीव
प्रताप
रूड़ी
ने
उन्हें
हरा
दिया
था.
इसके
बाद
लोकसभा
चुनाव
में
चंद्रिका
राय
(जो
लालू
यादव
के
समधी
हैं)
वह
लड़े
थे,
लेकिन
वो
भी
हार
गए.
पटना
की
रैली
में
शामिल
हुई
थीं
रोहिणी
इस
साल
जनवरी
महीने
में
जब
नीतीश
कुमार
से
रिश्ता
टूट
रहा
था,
तब
रोहिणी
के
सोशल
मीडिया
पोस्ट
पर
की
गई
टिप्पणियों
ने
ही
लालू-नीतीश
में
दूरी
की
पुष्टि
की.
3
मार्च
को
पटना
की
रैली
में
लालू
यादव
की
दूसरी
बेटी
रोहिणी
गांधी
मैदान
के
मंच
पर
नजर
आई.
उसी
समय
से
यह
कयास
लगने
लगे
कि
इस
बार
रोहणी
आचार्य
लोकसभा
चुनाव
में
डेब्यू
करेंगी.
17
मार्च
को
लालू
परिवार
के
बेहद
करीबी
सुनील
कुमार
सिंह
ने
अपने
फेसबुक
पोस्ट
पर
लिखकर
यह
संकेत
दे
दिए
कि
रोहिणी
आचार्य
जल्द
ही
चुनाव
लड़ने
जा
रही
हैं.
सारण
सीट
का
जातिगत
समीकरण
सारण
में
जातीय
समीकरण
दिलचस्प
है,
क्योंकि
यहां
यादवों
की
संख्या
25
फीसदी
है,
राजपूतों
की
संख्या
23
फीसदी
है,
वैश्य
20
फीसदी,
मुस्लिम
13
फीसदी
और
दलित
12
फीसदी
हैं,
इसलिए
राजनीतिक
पार्टियां
यहां
से
यादव
या
फिर
राजपूत
उम्मीदवार
पर
ही
दांव
खेलती
हैं.
राजपूत
और
यादव
बहुल
सारण
संसदीय
क्षेत्र
में
निर्णायक
वोट
वैश्य
और
मुस्लिम
का
माना
जाता
है.
मुस्लिम-यादव
समीकरण
बनाकर
लालू
प्रसाद
यादव
इस
सीट
से
चार
बार
सांसद
रहे
हैं
जबकि
राजपूत
और
वैश्यों
के
गोलबंद
से
भाजपा
के
रूढ़ी
ने
इस
सीट
पर
तीन
बार
जीत
हासिल
की
है.