

तमिलनाडु
की
एक
जनसभा
में
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
साथ
के.
अन्नामलाई
विपक्षी
दलों
का
इंडिया
गठबंधन
चाहे
जो
दावे
करे
लेकिन
लोकसभा
चुनाव
2024
में
बीजेपी
दक्षिण
में
2019
के
लोकसभा
चुनाव
के
मुकाबले
कहीं
बेहतर
प्रदर्शन
कर
सकती
है.
इस
बार
पार्टी
जितनी
मेहनत
उत्तर
में
कर
रही
है,
उतना
ही
दक्षिण
के
राज्यों
में.
वैसे
देखें
तो
अब
तक
केवल
कर्नाटक
बीजेपी
का
गढ़
रहा
है.
लोकसभा
चुनाव
हो
या
विधानसभा
का
चुनाव,
बीजेपी
ने
यहां
यूपी
और
गुजरात
की
तरह
अपनी
पकड़
बनाकर
रखी
है.
लेकिन
दक्षिण
के
बाकी
राज्यों
में
क्षेत्रीय
दलों
के
आगे
बीजेपी
का
कोई
वजूद
नहीं.
2019
में
बीजेपी
को
कर्नाटक
में
28
में
से
25
सीटें
मिली
थीं
जबकि
तमिलनाडु,
आंध्र
प्रदेश
और
केरल
में
पार्टी
को
गहरी
निराशा
हाथ
लगी.
पिछले
लोकसभा
के
चुनाव
में
तमिलनाडु
में
भाजपा
ने
पांच
सीटों
पर
उम्मीदवार
उतारे,
इनमें
से
किसी
को
भी
जीत
नहीं
मिल
सकी.
लेकिन
2024
के
समीकरण
बता
रहे
हैं
खासतौर
पर
तमिलनाडु
में
बीजेपी
की
मेहनत
रंग
ला
सकती
है.
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
वैसे
तो
उत्तर
भारत
के
राज्यों
समेत
दक्षिण
भारत
के
भी
सभी
राज्यों
में
पूरा
फोकस
रख
रहे
हैं
और
एनडीए
के
400
पार
के
अभियान
को
पूरे
जोर-शोर
से
आगे
बढ़ा
रहे
हैं
लेकिन
दक्षिण
में
खासतौर
पर
तमिलनाडु
उनके
एजेंडा
पर
सबसे
ज्यादा
है.
प्रधानमंत्री
को
राज्य
में
अपनी
पार्टी
के
नेता
अन्नामलाई
की
लोकप्रिय
पर
पूरा
भरोसा
है.
मोदी
और
अन्नामलाई
की
जोड़ी
बड़ा
करिश्मा
कर
सकती
है.
तमिलनाडु
दक्षिण
का
ऐसा
राज्य
है
जहां
बाकी
राज्यों
के
मुकाबले
सबसे
ज्यादा
39
सीटें
हैं.
कर्नाटक-28
सीट,आंध्र
प्रदेश-25
सीट
और
केरल-20
सीट.
ज्यादा
सीटों
के
लिहाज
से
बीजेपी
के
लिए
जितना
महत्वपू्र्ण
कर्नाटक
है
उससे
कहीं
ज्यादा
तमिलनाडु
है.
नई
संसद
में
तमिलनाडु
के
सेंगोल
की
स्थापना
हो
या
फिर
अयोध्या
में
श्रीराम
मंदिर
के
प्राण
प्रतिष्ठा
से
पूर्व
दक्षिण
के
राज्यों
में
राम
कथा
से
जुड़े
धार्मिक
स्थलों
में
पूजा-अर्चना
करके
प्रधानमंत्री
ने
अपने
मिशन
को
साफ
कर
दिया
था.
तमिलनाडु
में
कई
सीटों
पर
बीजेपी
रही
दूसरे
नंबर
पर
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
को
भले
ही
एक
भी
सीट
नहीं
मिली
लेकिन
कई
ऐसी
सीटें
हैं
जहां
बीजेपी
दूसरे
या
तीसरे
नंबर
पर
रही
है.
यहां
तक
कि
कई
ऐसी
सीटें
हैं
जहां
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
को
अगर
तीसरा
स्थान
मिला
तो
2019
में
वहां
दूसरा
पोजीशन
हासिल
हुआ
था.
यानी
इन
सीटों
पर
बीजेपी
के
वोट
शेयर
में
चुनाव
दर
चुनाव
बढ़ोत्तरी
देखने
को
मिली
है.
अब
जबकि
2024
के
चुनाव
में
तमिलनाडु
में
प्रधानमंत्री
मोदी
और
पूरी
पार्टी
ने
सभी
स्तर
पर
अभियान
छेड़
दिया
है
तो
वोट
शेयर
में
पिछले
चुनावों
से
मुकाबले
इजाफा
हो
सकता
है.
कोयंबटूर
बनी
सबसे
हॉट
सीट
तमिलनाडु
में
लोकसभा
की
करीब
दर्जन
भर
से
ज्यादा
ऐसी
सीटें
हैं
जहां
बीजेपी
को
इस
बार
जीत
की
उम्मीद
है.
इन
सीटों
में
सबसे
प्रमुख
है-
कोयंबटूर.
इस
चुनाव
में
यह
हाई
प्रोफाइल
सीट
बन
चुकी
है.
2019
और
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
यहां
नंबर
दो
की
पार्टी
रही
है.
2019
के
चुनाव
में
विजेता
पार्टी
सीपीआई(एम)
को
जहां
5.71
लाख
वोट
मिले
तो
बीजेपी
को
3.92
लाख.
इसी
तरह
2014
के
चुनाव
में
बीजेपी
को
महज
40
हजार
वोटों
से
हार
मिली
थी.
इस
बार
2024
के
चुनाव
में
बीजेपी
के
टिकट
पर
बीजेपी
के
‘सिंघम’
कहे
जाने
वाले
के.
अन्नामलाई
मैदान
में
हैं.
जिनकी
लोकप्रियता
को
प्रधानमंत्री
मोदी
खुद
देख
चुके
हैं.
इन
सीटों
पर
बीजेपी
बढ़ा
रही
ताकत
कोयंबटूर
के
अलावा
जिन
सीटों
पर
बीजेपी
को
जीत
की
आशा
है,
उनमें
हैं-
कन्याकुमारी,
शिवगंगा,
पेरंबलूर,
करुर,
चिदंबरम,
मदुरै,
रामनाथपुरम,
थेनी,
विरुधुनगर
और
थुथुकुडी.
ये
सभी
लोकसभा
की
ऐसी
सीटें
हैं
जहां
बीजेपी
की
पकड़
धीरे-धीरे
बढ़ती
जा
रही
है.
इन
सीटों
पर
बीजेपी
डीएमके
और
कांग्रेस
दोनों
के
लिए
चुनौती
बनकर
उभरी
है.
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
एआईएडीएमके
बीजेपी
के
साथ
थी.
तमिलनाडु
में
बीजेपी
की
बढ़त
की
वजहें
तमिलनाडु
में
जमीनी
स्तर
की
तैयारियों
के
मद्देनजर
बीजेपी
ने
प्रदेश
के
कई
जिलों
में
चुनाव
कार्यालय
खोले
और
बूथों
को
मजबूत
करने
का
अभियान
शुरू
किया.
पार्टी
ने
यहां
तीन
स्तरों
पर
बड़ी
तैयारी
की
है.
के.
अन्नामलाई
पूरे
प्रदेश
में
राजनीति
के
सिंघम
कहे
जाते
हैं
और
उनका
प्रभाव
जादुई
है.
बीजेपी
के
लिए
के.
अन्नामलाई
बड़ा
जादू
कर
सकते
हैं.
दूसरी
तरफ
बीजेपी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
जिलों
में
चुनाव
कार्यालयों
को
खोलकर
प्रदेश
के
कार्यकर्ताओं
को
बूथ
लेवल
पर
कड़ा
परिश्रम
करने
का
संदेश
दे
चुके
हैं.
तीसरी
सबसे
महत्वपूर्ण
बात
ये
है
कि
प्रधानमंत्री
मोदी
ने
अपने
ज्यादातर
अनुष्ठानों
और
अभियानों
में
तमिलनाडु
को
विशेष
प्रमुखता
देने
की
कोशिश
की
है.
उनकी
पहल
कहीं
ना
कहीं
बीजेपी
के
लिए
माहौल
बनाने
में
मददगार
साबित
हो
सकती
है.
क्या
कर्नाटक
की
भरपाई
करेगा
तमिलनाडु?
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
एआईएडीएमके
बीजेपी
के
साथ
जरूर
थी
लेकिन
इस
बार
के
चुनाव
में
बीजेपी
का
एआईएडीएमके
से
गठबंधन
नहीं
हो
सका
है.
लेकिन
बीजेपी
ने
उसके
बदले
8
अन्य
क्षेत्रीय
दलों
से
हाथ
मिलाया
है.
यहां
बीजेपी
के
उम्मीदवार
19
सीटों
पर
चुनाव
लड़
रहे
हैं
जबकि
चार
दलों
के
उम्मीदवार
बीजेपी
के
चिह्न
पर
चुनाव
लड़
रहे
हैं.
इस
प्रकार
कुल
23
सीटों
पर
कमल
का
निशान
सीधे
मुकाबले
में
है.
इनके
अलावा
पीएमके,
तमिल
मनीला
कांग्रेस
(मूपनार),
एएमएमके
को
भी
बीजेपी
ने
पार्टनर
बनाया
है.
इन
सभी
दलों
में
पीएमके
को
सबसे
ज्यादा
10
सीटें
दी
गई
हैं.
ऐसा
समझा
जाता
है
तमिलनाडु
के
छह
जिलों
में
पीएमके
का
अच्छा
खासा
प्रभाव
है.
कर्नाटक
में
क्या
कहते
हैं
समीकरण
अब
अहम
सवाल
ये
है
कि
क्या
कर्नाटक
में
बीजेपी
2019
के
रिकॉर्ड
को
बरकरार
रख
पाएगी?
इस
साल
बीजेपी
को
28
में
से
25
सीटें
मिली
थीं,
जबकि
2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
ने
जेडीएस
के
साथ
सीट
शेयरिंग
करते
हुए
25
सीटों
पर
अपने
उम्मीदवार
उतारने
का
ऐलान
किया
है.
3
सीटें
जेडीएस
को
दी
गई
है.
बीजेपी
के
लिए
तमिलनाडु
जितना
अहम
है
उतना
ही
कर्नाटक
भी.
लेकिन
पिछले
विधानसभा
चुनाव
के
बाद
कर्नाटक
में
बीजेपी
को
बड़ा
झटका
लग
चुका
है.
पार्टी
ने
फीडबैक
के
आधार
पर
अपने
10
सांसदों
का
टिकट
काट
दिया
है.
सर्वे
के
आधार
पर
कहें
तो
कांग्रेस
यहां
सीटें
बढ़ाने
के
अभियान
में
जुटी
है.
हाल
के
सर्वे
ये
बताते
हैं
कि
कर्नाटक
में
बीजेपी
की
सीटें
घट
सकती
हैं.
लिहाजा
पार्टी
का
पूरा
जोर
इस
बात
पर
है
कि
कर्नाटक
की
कमी
की
भरपाई
तमिलनाडु
से
की
जाए
और
मिशन
400
के
आंकड़े
को
पार
किया
जाए.