
चुनाव
आयोग
ने
कैश
और
अवैध
शराब
जब्त
की
लोकसभा
चुनाव
2024
इस
बार
7
चरणों
में
कराया
जाएगा,
लेकिन
इससे
पहले
ही
चुनाव
आयोग
ने
एक
मार्च
तक
पकड़े
गए
काले
धन
का
ब्यौरा
जारी
किया
है,
जिसमें
रोजाना
करीब
100
करोड़
रुपये
पकड़े
गए
और
कुल
4650
करोड़
रुपये
जब्त
किए
गए
हैं.
यह
2019
में
पूरे
लोकसभा
चुनाव
के
दौरान
जब्त
किए
गए
3475
करोड़
रुपये
से
काफी
अधिक
है.
हैरान
करने
वाली
बात
यह
है
कि
इसमें
करीब
45%
बरामदगी
ड्रग्स
और
नशीले
पदार्थों
की
है.
2019
के
आम
चुनावों
की
बात
करें
तो
यह
देश
के
लोकतांत्रिक
इतिहास
का
अब
तक
का
सबसे
खर्चीला
चुनाव
था.
2019
में
844
करोड़
का
कैश
बरामद
किया
गया
था.
इसके
अलावा
304
करोड़
की
अवैध
शराब,
1279
करोड़
का
ड्रग्स,
साथ
ही
987
करोड़
का
सोना
और
बहुमूल्य
सामान
जब्त
किया
गया
था.
इन
सब
की
कुल
कीमत
करीब
3400
करोड़
से
ज्यादा
की
थी.
पकड़े
गए
पैसे
का
क्या
होता
है?
देश
में
चुनावों
को
संचालित
करने
वाले
जनप्रतिनिधित्व
कानून
के
मुताबिक,
धनबल
के
जरिए
चुनावों
को
प्रभावित
करना
गैरकानूनी
है.
यह
कानून
कहता
है
कि
10
लाख
से
ज्यादा
का
कैश
जब्त
किए
जाने
पर
उसे
जिले
की
ट्रेजरी
में
जमा
कराना
होगा.
इतना
ही
नहीं
10
लाख
से
ज्यादा
का
कैश
जब्त
होने
पर
इनकम
टैक्स
के
नोडल
अधिकारी
को
इसकी
सूचना
देना
भी
जरूरी
है.
ये
भी
पढ़ें
मई
2019
में
केंद्र
सरकार
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
एक
हलफनामा
दाखिल
करके
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
जब्त
किए
गए
कैश
की
जानकारी
दी.
जब्त
किए
गए
303
करोड़
लोगों
को
लौटा
दिए
गए,
लेकिन
100
से
ज्यादा
केस
में
सिर्फ
तीन
ही
केस
ऐसे
रहे
जिसमें
लोगों
को
दोषी
ठहराया
गया,
जो
1
फीसदी
से
भी
कम
है.
चुनावों
में
सुधार
के
लिए
काम
करने
वाली
संस्था
एडीआर
के
मुताबिक,
आयकर
विभाग
के
पास
चुनाव
में
जब्त
हुई
रकम
के
लिए
कई
अलग
से
प्रावधान
और
कानून
है.
चुनाव
के
दौरान
जो
पैसा
पकड़ा
जाता
है,
उसको
इनकम
टैक्स
डिपार्टमेंट
को
सौंप
दिया
जाता
है,
अगर
पैसे
के
सोर्स
का
पता
हो
तो
जिस
व्यक्ति
से
पैसा
पकड़ा
गया
है,
वह
उस
पैसे
पर
दवा
कर
सकता
है.
यह
जरूरी
नहीं
है
कि
चुनाव
के
वक्त
जो
पैसे
पकड़े
जाते
हैं,
उन्हें
बांटने
के
लिए
ही
ले
जाया
जा
रहा
हो.
कुछ
लोग
काम
और
बिजनेस
के
सिलसिले
में
भी
कई
बार
पैसे
लेकर
जाते
हैं.
कई
बार
ऐसे
लोग
भी
पुलिस
की
गिरफ्त
में
आ
जाते
हैं.
सोर्स
पता
नहीं
चलने
पर
सालों
तक
इनकम
टैक्स
डिपार्टमेंट
के
पास
पैसा
पड़ा
रहता
है.
पैसा
अवैध
तरीके
से
चुनाव
में
इस्तेमाल
के
लिए
होता
है
तो
कोई
क्लेम
करने
नहीं
आता.
पकड़ी
गई
शराब
का
क्या
होता
है?
वहीं
चुनाव
के
दौरान
वोटर्स
को
प्रभावित
करने
के
लिए
जो
शराब
होती
है,
उसे
जब्त
कर
पुलिस
आबकारी
विभाग
को
सौंप
देती
है.
कई
बार
चुनाव
आयोग
की
टीम,
आबकारी
विभाग
और
पुलिस
मिलकर
अवैध
शराब
पकड़ने
का
ऑपरेशन
भी
चलाती
है.
इस
दौरान
देसी
और
विदेशी
दोनों
तरह
की
शराब
पकड़ी
जाती
है.
आबकारी
विभाग
के
अधिकारी
के
मुताबिक,
इस
शराब
को
बेचा
नहीं
जा
सकता.
यह
किसी
अकाउंट
से
नहीं
होती.
इन
शराब
की
बोतलों
पर
रोड
रोलर
या
फिर
बुलडोजर
चला
दिया
जाता
है.
कई
राज्यों
में
बोतल
को
किसी
बड़े
गड्ढे
में
डालकर
ठिकाने
भी
लगाया
जाता
है.