अखिलेश ने चंद्रशेखर तो लालू ने पप्पू के संग कर दिया खेला, नहीं जीते तो कैसे बिगाड़ेंगे गेम?

अखिलेश ने चंद्रशेखर तो लालू ने पप्पू के संग कर दिया खेला, नहीं जीते तो कैसे बिगाड़ेंगे गेम?
अखिलेश ने चंद्रशेखर तो लालू ने पप्पू के संग कर दिया खेला, नहीं जीते तो कैसे बिगाड़ेंगे गेम?


अखिलेश
यादव,
लालू
प्रसाद
यादव,
पप्पू
यादव,
चंद्रशेखर
आजाद

उत्तर
प्रदेश
में
इंडिया
गठबंधन
में
दलित
नेता
चंद्रशेखर
आजाद
को
सपा
प्रमुख
अखिलेश
यादव
के
चलते
जगह
नहीं
मिल
सकी.
इसी
तरह
बिहार
में
पप्पू
यादव
ने
अपनी
पार्टी
का
कांग्रेस
में
विलय
तक
कर
लिया,
लेकिन
आरजेडी
सुप्रीमो
लालू
प्रसाद
यादव
ने
उनकी
राह
में
रोड़ा
अटका
दिया.
सपा
ने
नगीना
लोकसभा
सीट
नहीं
छोड़ी
तो
चंद्रशेखर
आजाद
ने
अपनी
पार्टी
से
ताल
ठोक
दी
तो
पूर्णिया
से
पप्पू
यादव
अपनी
जिद
पर
अड़े
हुए
हैं.
वो
हर
हाल
में
यहां
से
चुनाव
लड़ने
का
दम
भर
रहे
हैं.

चंद्रशेखर
आजाद
और
पप्पू
यादव
के
उतरने
से
सियासी
गेम
बदल
सकता
है.
नगीना
से
चंद्रशेखर
तो
पूर्णिया
में
पप्पू
यादव
अगर
चुनाव
नहीं
जीतते
हैं
तो
इंडिया
गठबंधन
का
खेल
बिगाड़ने
की
ताकत
रखते
हैं,
क्योंकि
दोनों
नेता
पूरे
दमखम
के
साथ
चुनावी
मैदान
में
डटे
हैं.
ऐसे
में
नगीना
और
पूर्णिया
दोनों
ही
सीटों
का
चुनाव
काफी
रोचक
हो
सकता
है.

चंद्रशेखर
खेल
बनाएंगे
या
फिर
बिगाड़ेंगे?

नगीना
लोकसभा
सीट
से
चंद्रशेखर
आजाद
अपनी
आजाद
समाज
पार्टी
से
चुनाव
लड़
रहे
हैं
जबकि
एक
समय
इंडिया
गठबंधन
का
हिस्सा
बनने
की
चर्चा
थी.
सपा
प्रमुख
अखिलेश
यादव
ने
नगीना
सीट
चंद्रशेखर
के
लिए
छोड़ने
के
बजाय
मनोज
कुमार
को
अपना
प्रत्याशी
बना
दिया
है.
नगीना
सुरक्षित
सीट
है,
जहां
पर
हर
पार्टी
से
दलित
समुदाय
के
कैंडिडेट
उतरे
हैं.
नगीना
सीट
पर
मुस्लिम
वोटर
बड़ी
संख्या
में
है,
जो
किसी
भी
दल
का
खेल
बनाने
और
बिगाड़ने
की
ताकत
रखते
हैं.
चंद्रशेखर
लगातार
मुस्लिम
वोटों
को
अपने
पक्ष
में
करने
में
लगे
हैं.
दलित
युवाओं
के
बीच
उनकी
अपनी
मजबूत
पकड़
मानी
जाती
है.

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नगीना
लोकसभा
सीट
पर
16
लाख
मतदाता
हैं,
यहां
पर
मुस्लिम
मतदाता
6
लाख
से
ज्यादा
हैं
तो
तीन
लाख
दलित
वोटर
हैं.
लोकसभा
क्षेत्र
में
आने
वाली
सभी
विधानसभा
सीटों
पर
करीब
50
फीसदी
से
अधिक
मुस्लिम
मतदाता
हैं.
मुस्लिम-दलित
गणित
समीकरण
विपक्ष
के
लिए
जीत
का
आधार
बन
सकता
है,
लेकिन
नगीना
सीट
पर
मुस्लिम
और
दलित
मतों
का
बिखराव
होता
है
तो
फिर
इंडिया
गठबंधन
के
लिए
यह
सीट
जीतना
आसान
नहीं
होगा.
चंद्रशेखर
आजाद
भले
ही
अपना
खेल

बना
पाएं,
लेकिन
विपक्ष
के
खेल
को
बिगाड़ने
के
मूड
में
पूरी
तरह
दिख
रहे
हैं.
चंद्रशेखर
से
लेकर
सपा
और
बसपा
ने
दलितों
पर
दांव
खेला
है,
उससे
बीजेपी
के
लिए
सियासी
राह
आसान
हो
सकती
है.

पप्पू
यादव
पूर्णिया
में
कर
सकते
हैं’खेला’

राजेश
रंजन
उर्फ
पप्पू
यादव
पूर्णिया
लोकसभा
सीट
से
चुनाव
लड़ने
की
तैयारी
काफी
समय
से
कर
रहे
हैं.
पूर्णिया
से
लड़ने
की
फिराक
में
पप्पू
यादव
ने
अपनी
जन
अधिकार
पार्टी
का
भी
कांग्रेस
में
विलय
कर
दिया,
लेकिन
इंडिया
गठबंधन
में
यह
सीट
आरजेडी
के
हिस्से
में
चली
गई.
कांग्रेस
ने
भले
ही
पूर्णिया
सीट
आरजेडी
के
लिए
छोड़
दी
हो,
लेकिन
पप्पू
यादव
आत्मसमर्पण
करने
के
मूड
में
नहीं
है.
इस
सीट
से
हर
हाल
में
चुनाव
लड़ने
का
दम
भर
रहे
हैं.
पप्पू
यादव
ने
कह
दिया
है
कि
वो
पूर्णिया
सीट
से
कांग्रेस
के
टिकट
पर
‘फ्रेंडली
फाइट’
के
लिए
उतर
सकते
हैं.

पप्पू
यादव
और
पूर्णिया
सीट
का
रिश्ता

पप्पू
यादव
इससे
पहले
भी
तीन
बार
अपने
दम
पर
पूर्णिया
से
लोकसभा
चुनाव
जीत
चुके
हैं.
1991
में
निर्दलीय,
1996
में
सपा
के
टिकट
पर
और
1999
में
भी
पप्पू
यादव
निर्दलीय
ही
पूर्णिया
सीट
से
लोकसभा
चुनाव
जीते
थे.
पूर्णिया
सीट
से
इस
बार
आरजेडी
ने
बीमा
भारती
को
अपना
प्रत्याशी
बनाया
है.
पूर्णिया
की
रूपौली
विधानसभा
सीट
से
विधायक
बीमा
भारती
जेडीयू
छोड़कर
आरजेडी
में
आई
हैं.
यहां
पर
40
फीसदी
मुस्लिम
मतदाता
है
तो
डेढ़
लाख
यादव
वोटर
हैं.

पप्पू
यादव
की
कोशिश
मुस्लिम-यादव
वोटों
को
एकजुट
कर
जीत
दर्ज
करने
की
है,
जिस
पर
उनकी
मजबूत
पकड़
रही
है
तो
आरजेडी
भी
इन्हीं
वोटों
के
सहारे
जीत
की
उम्मीद
लगाए
हुए
है.
ऐसे
में
पप्पू
के
उतरने
से
सबसे
बड़ा
खतरा
आरजेडी
की
कैंडिडेट
बीमा
भारती
के
लिए
हो
सकता
है.
पप्पू
यादव
अपना
खेल
नहीं
बनाते
हैं
तो
आरजेडी
का
गेम
पूरी
तरह
से
बिगाड़ने
की
ताकत
रखते
हैं?