पंजाब में बीजेपी पैराशूट कैंडिडेटों के सहारे क्या खुद को कर पाएगी मजबूत?

पंजाब में बीजेपी पैराशूट कैंडिडेटों के सहारे क्या खुद को कर पाएगी मजबूत?
पंजाब में बीजेपी पैराशूट कैंडिडेटों के सहारे क्या खुद को कर पाएगी मजबूत?


सुशील
कुमार
रिंकू,
हंसराज
हंस,
परनीत
कौर,
तरणजीत
सिंह
संधू

पंजाब
लोकसभा
चुनाव
में
बीजेपी
करीब
तीन
दशक
के
बाद
अकेले
इस
चुनावी
मैदान
में
है.
बीजेपी
ने
सूबे
की
13
में
से
6
सीटों
पर
अपने
उम्मीदवारों
के
नाम
का
ऐलान
किया
है,
जिसमें
ज्यादातर
पैराशूट
कैंडिडेट
है.
कांग्रेस
और
आम
आदमी
पार्टी
छोड़कर
आए
सांसदों
पर
भरोसा
जताते
हुए
बीजेपी
ने
उन्हें
लोकसभा
चुनाव
में
अपना
उम्मीदवार
बनाया
है.
देखना
है
कि
बीजेपी
दलबदल
नेताओं
के
सहारे
पंजाब
में
क्या
आम
आदमी
पार्टी,
कांग्रेस
और
अकाली
दल
से
मुकाबला
कर
पाएगी
कि
नहीं?

बीजेपी
ने
पंजाब
में
6
प्रत्याशी
अभी
तक
घोषित
किए
हैं.
लुधियाना
सीट
से
रवनीत
सिंह
बिट्टू,
जलांधर
सीट
से
सुशील
कुमार
रिंकू
और
पटियाला
सीट
से
परनीत
कौर,
फरीदकोट
से
हंसराज
हंस,
अमृतसर
से
तरणजीत
सिंह
संधू
और
गुरदासपुर
से
दिनेश
सिंह
बब्बू
को
पार्टी
ने
टिकट
दिया
है.
दिनेश
सिंह
बब्बू
ही
एकलौते
नेता
है,
जो
पंजाब
में
बीजेपी
के
पुराने
और
वफादार
नेता
है.
इसके
अलावा
बाकी
बची
सीट
पर
पैराशूट
कैंडिडेट
उतारे
हैं
या
फिर
दलबद
करने
वाले
हैं.

दलबद
नेताओं
को
BJP
ने
दिया
टिकट

रवनीत
सिंह
बिट्टू
26
मार्च
को
कांग्रेस
छोड़कर
बीजेपी
में
शामिल
हुए
हैं.
वो
लुधियाना
से
चुनाव
लड़ेंगे,
जहां
से
वो
मौजूदा
सांसद
हैं.
इसी
चरह
27
मार्च
को
सुशील
कुमार
रिंकू
ने
आम
आदमी
पार्टी
छोड़कर
बीजेपी
का
दामन
थामा
है.
उनको
जालंधर
सीट
से
चुनावी
मैदान
में
उतारा
गया
है.
रिंकू
ने
पिछले
साल
जालंधर
लोकसभा
उपचुनाव
जीता
था.
पटियाला
सीट
से
सांसद
परनीत
कौर
मार्च
की
शुरुआत
में
कांग्रेस
को
अलविदा
कह
कर
बीजेपी
में
शामिल
हुई
हैं.
परनीत
कौर
पूर्व
सीएम
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
की
पत्नी
हैं
और
बीजेपी
ने
उन्हें
पटियाला
से
टिकट
दिया
है.

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हंस
राज
हंस
को
पंजाब
से
उतारा

प्रसिद्ध
सूफी
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राज
हंस
को
बीजेपी
ने
इस
बार
दिल्ली
के
बजाय
पंजाब
से
उतारा
है.
हंसराज
हंस
ने
2019
में
सियासत
में
कदम
रखा
था
और
बीजेपी
ने
उन्हें
उत्तरी-पश्चिमी
दिल्ली
से
टिकट
दिया
था,
जिसके
बाद
वो
जीतकर
सांसद
बने
थे.
बीजेपी
ने
2024
में
उनका
टिकट
उत्तरी-पश्चिमी
दिल्ली
सीट
से
काटकर
पंजाब
के
फरीदकोट
से
प्रत्याशी
बनाया
है.
रिटायर्ड
भारतीय
राजनयिक
तरणजीत
सिंह
संधू
अमृतसर
से
चुनाव
लड़ेंगे.
तरणजीत
संधू
अमेरिका
में
पूर्व
भारतीय
राजदूत
रह
चुके
हैं.
वो
हाल
ही
में
बीजेपी
में
शामिल
हुए
हैं
और
पार्टी
ने
उन्हें
टिकट
देकर
लोकसभा
चुनाव
में
उतारा
है.

पंजाब
में
अकेले
लड़
रही
बीजेपी

पंजाब
में
बीजेपी
पहली
बार
अकेले
लोकसभा
का
चुनाव
लड़
रही
है.
अब
तक
बीजेपी
शिरोमणि
अकाली
दल
के
साथ
ही
मिलकर
चुनाव
लड़ती
रही
है.
पहले
अकाली
दल
एनडीए
का
हिस्सा
थी,
लेकिन
कृषि
कानूनों
(जिन्हें
बाद
में
निरस्त
कर
दिया
गया)
के
विरोध
में
अकाली
दल
सितंबर
2020
में
एनडीए
से
अलग
हो
गई
थी.
इस
तरह
1996
के
बाद
बीजेपी
और
अकाली
दल
पंजाब
में
अलग-अलग
चुनाव
लड़ने
के
लिए
उतरे
हैं.

बीजेपी-
अकाली
दल
से
अलग
हुई

पंजाब
में
अकाली
दल
के
साथ
रहते
हुए
बीजेपी
महज
चार
लोकसभा
सीटों
पर
ही
चुनाव
लड़ती
रही
है.
इसी
तरह
से
विधानसभा
चुनाव
में
117
सीटों
में
से
बीजेपी
अभी
तक
महज
23
सीटों
पर
चुनाव
लड़ती
रही
है,
लेकिन
अकाली
दल
से
अलग
होने
के
बाद
बीजेपी
अब
सभी
लोकसभा
और
विधानसभा
सीटों
पर
किस्मत
आजमा
रही
है.
पंजाब
में
बीजेपी
का
शहरी
मतदाताओं
के
बीच
राजनीतिक
आधार
रहा
है,
लेकिन
अब
उसे
ग्रामीण
इलाकों
में
भी
अपनी
पकड़
बनानी
है
जिस
के
बिना
वो
कांग्रेस,
आम
आदमी
पार्टी
और
अकाली
दल
से
पार
नहीं
पा
सकती.
इसीलिए
बीजेपी
दूसरे
दलों
से
आए
नेताओं
पर
भरोसा
कर
रही
है.

बीजेपी
की
स्ट्रैटेजी

बता
दें,
कि
2020
के
बाद
लगातार
यह
देखने
को
मिला
है
कि
पंजाब
में
हर
पार्टियों
के
नेता
बीजेपी
में
शामिल
हुए
हैं.
कांग्रेस
,
शिरोमणि
अकाली
दल
ही
नहीं
आम
आदमी
पार्टी
के
नेताओं
ने
भी
बीजेपी
का
दामन
थामा
है.
बीजेपी
ने
कांग्रेस
से
आए
सुनील
जाखड़
को
प्रदेश
में
पार्टी
की
कमान
सौंप
रखी
है
तो
अब
लोकसभा
चुनाव
में
भी
दलबदलू
और
पैराशूट
कैंडिडेट
उतारकर
दो-दो
हाथ
करने
की
स्ट्रैटेजी
बनाई
है.
देखना
है
कि
बीजेपी
का
यह
दांव
कितना
सफल
रहता
है?