

प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
भारत
के
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
का
डंका
देश
ही
नहीं
बल्कि
दुनिया
में
भी
बजता
है.
पूरी
दुनिया
में
पीएम
मोदी
की
लोकप्रियता
की
चर्चा
होती
है.
उनके
नेतृत्व
की
हर
कोई
तारीफ
करता
है.
दुनियाभर
में
लोग
पीएम
मोदी
के
लीडरशिप
के
कायल
हो
चुके
है.
इसी
कड़ी
में
ब्रिटेन
की
एक
मशहूर
मैग्जीन
द
इकोनॉमिस्ट
ने
पीएम
मोदी
को
लेकर
कहा
है
कि
आमतौर
पर
संभ्रांत
लोग
विश्व
स्तर
पर
लोकप्रिय
नेताओं
को
नापसंद
करते
हैं.
लेकिन
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
मामले
में
ऐसा
नहीं
है.
पीएम
मोदी
शिक्षित
मतदाताओं
के
बीच
भी
काफी
लोकप्रिय
हैं
और
उनके
लिए
शिक्षित
मतदाताओं
का
समर्थन
बढ़ता
दिख
रहा
है.
‘भारत
के
कुलीन
लोग
नरेन्द्र
मोदी
का
समर्थन
क्यों
करते
हैं’
शीर्षक
वाले
एक
लेख
में
द
इकोनॉमिस्ट
ने
अपने
लेख
में
कहा
कि
‘तीन
कारक
–
वर्ग
राजनीति,
अर्थव्यवस्था,
और
मजबूत
व्यक्ति
के
शासन
के
लिए
अभिजात्य
वर्ग
की
प्रशंसा-यह
समझाने
में
मदद
करते
हैं
कि
ऐसा
क्यों
है.
इसे
‘मोदी
विरोधाभास’
करार
देते
हुए
मैग्जीन
में
बताया
गया
है
कि
अक्सर
भारत
के
प्रधानमंत्री
को
अमेरिका
के
पूर्व
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
जैसे
दक्षिणपंथी
लोकप्रिय
लोगों
के
साथ
जोड़ा
जाता
है.
लेकिन
ऐसा
नहीं
है.
मैग्जीन
ने
अपने
प्रकाशन
में
लिखा
कि
मोदी
कोई
साधारण
मजबूत
व्यक्ति
नहीं
हैं,
जिनके
तीसरी
बार
जीतने
की
उम्मीद
है.
‘पीएम
मोदी
सबसे
लोकप्रिय
नेता
क्यों
हैं’
यही
नहीं
द
इकोनॉमिस्टमें
लिखा
गया
है
कि
ज्यादातर
जगहों
पर
ट्रंप
जैसे
संस्थान
विरोधी
लोकप्रिय
लोगों
के
लिए
समर्थन
और
ब्रेक्जिट
जैसी
नीतियों
का
विश्वविद्यालय
शिक्षा
के
साथ
विपरीत
संबंध
होता
है.
लेकिन
भारत
में
नहीं
है.
इसे
मोदी
विरोधाभास
कहें.
इससे
यह
समझाने
में
मदद
मिलती
है
कि
आखिर
पीएम
मोदी
आज
किसी
प्रमुख
लोकतंत्र
के
सबसे
लोकप्रिय
नेता
क्यों
हैं.
ये
भी
पढ़ें
80
प्रतिशत
लोगों
की
पसंद
पीएम
मोदी
द
इकोनॉमिस्टमें
गैलप
सर्वेक्षण
का
हवाला
देते
हुए
कहा
गया
है
कि
अमेरिका
में
विश्वविद्यालय
शिक्षा
वाले
सिर्फ
26
प्रतिशत
उत्तरदाताओं
ने
ट्रंप
को
मंजूरी
दी.
लेकिन
इससे
कम
शिक्षित
लोगों
में
से
50
प्रतिशत
ने
उनका
समर्थन
किया.
वहीं
पीएम
मोदी
ने
इस
रुझान
को
तोड़ा
है.
इसके
साथ
ही
द
इकोनॉमिस्टमें
प्यू
रिसर्च
सर्वेक्षण
का
हवाला
दिया
गया
है.
जिसमें
बताया
गया
है
कि
प्राथमिक
विद्यालय
स्तर
से
अधिक
शिक्षा
अर्जित
न
करने
वाले
66
प्रतिशत
भारतीयों
ने
2017
में
मोदी
के
बारे
में
‘बहुत
अनुकूल’
राय
जाहिर
की,
लेकिन
इससे
ऊपर
की
शिक्षा
प्राप्त
करने
वाले
80
प्रतिशत
लोगों
ने
उन्हें
अपनी
पसंद
बताया.
वहीं
साल
2019
के
आम
चुनाव
के
बाद
लोकनीति
के
एक
सर्वेक्षण
के
मुताबिक
डिग्री
धारक
करीब
42
प्रतिशत
भारतीय
लोगों
ने
पीएम
मोदी
की
भारतीय
जनता
पार्टी
का
समर्थन
किया.
जबकि
केवल
प्राथमिक-स्कूल
स्तर
की
शिक्षा
प्राप्त
करने
वाले
करीब
35
प्रतिशत
लोगों
ने
ऐसा
किया.
मैग्जीन
इसके
साथ
ही
कहा
कि
शिक्षित
लोगों
के
बीच
मोदी
की
सफलता
अन्य
समूहों
के
बीच
समर्थन
की
कीमत
पर
नहीं
आती
है.
इसके
साथ
ही
सेंटर
फॉर
पॉलिसी
रिसर्च
के
राजनीतिक
वैज्ञानिक
नीलांजन
सरकार
के
हवाले
से
कहा
गया
कि
अन्य
लोकप्रिय
नेताओं
की
तरह
पीएम
मोदी
की
सबसे
बड़ी
पैठ
निम्न
वर्ग
के
मतदाताओं
के
बीच
बनी
है.
अर्थव्यवस्था
को
एक
प्रमुख
कारक
के
रूप
में
उद्धृत
करते
हुए
लेख
में
कहा
गया
कि
भारत
की
मजबूत
जीडीपी
वृद्धि
असमान
रूप
से
वितरित
होने
के
बावजूद
भारतीय
उच्च-मध्यम
वर्ग
के
आकार
और
धन
में
तेजी
से
वृद्धि
कर
रही
है.
‘भारत
को
एक
मजबूत
व्यक्ति
के
शासन
की
जरूरत’
इसके
आगे
मैग्जीन
में
बताया
गया
है
कि
2000
के
दशक
में
कांग्रेस
को
उच्च-मध्यम
वर्ग
के
बीच
मजबूत
समर्थन
प्राप्त
था.
लेकिन
2010
के
दशक
में
मंदी,
भ्रष्टाचार
और
घोटालों
ने
चीजों
को
बदल
दिया.
लेख
में
कहा
गया
कि
मोदी
के
कार्यकाल
ने
दुनिया
में
भारत
की
आर्थिक
और
भू-राजनीतिक
स्थिति
में
इजाफा
किया
है.
साथ
ही
कुछ
लोग
सोचते
हैं
कि
भारत
को
वास्तव
में
एक
मजबूत
व्यक्ति
के
शासन
की
जरूरत
है.
उन्होंने
चीन
और
पूर्वी
एशिया
संबंधी
स्थिति
की
तरफ
इशारा
किया
जिनके
अनुभव
से
उन्हें
लगता
है
कि
मजबूत
शासन
आर्थिक
विकास
की
बाधाओं
को
दूर
कर
सकता
है.
‘कांग्रेस
और
राहुल
गांधी
ने
खोया
विश्वास’
लेख
में
कहा
गया
गया
है
कि
संभ्रांत
लोगों
को
लगता
है
कि
मोदी
के
लिए
उनका
समर्थन
तब
तक
जारी
रहेगा
जब
तक
कोई
विश्वसनीय
विकल्प
सामने
नहीं
आता.
लेख
के
मुताबिक
अधिकांश
संभ्रांत
लोगों
का
कांग्रेस
और
इसके
नेता
राहुल
गांधी
पर
से
विश्वास
उठ
गया
है.
कांग्रेस
और
राहुल
दोनों
ने
ही
विश्वास
को
खो
दिया
है,
जिन्हें
वंशवादी
और
पहुंच
से
बाहर
माना
जाता
है.
लेख
में
कांग्रेस
के
एक
अनाम
वरिष्ठ
नेता
के
हवाले
से
कहा
गया
कि
मोदी
ने
कल्याणकारी
भुगतान
को
डिजिटल
रूप
से
वितरित
करने
जैसे
‘हमारे
सर्वोत्तम
विचारों
को
अपनाया
है’
और
उनकी
पार्टी
की
तुलना
में
‘उन्हें
बेहतर
ढंग
से
क्रियान्वित’
किया
है.
लेख
इस
निष्कर्ष
के
साथ
खत्म
हुआ
कि
‘एक
मजबूत
विपक्ष
शायद
एकमात्र
ऐसी
चीज
है
जो
भारत
के
अभिजात्य
वर्ग
को
मोदी
को
छोड़ने
के
लिए
प्रेरित
करेगा
लेकिन
फिलहाल
ऐसा
कहीं
नहीं
दिख
रहा
है.
वहीं
बीजेपी
नेता
सुधांशु
त्रिवेदी
का
कहना
है
कि
60
सालों
तक
जब
कांग्रेस
देश
की
सत्ता
में
थी
तो
देश
की
साक्षरता
दर
50
फीसदी
से
कम
थी.
लेकिन
जब
बीजेपी
सत्ता
में
आई
तो
ये
दर
50
से
ऊपर
थी
और
जब
बीजेपी
पूर्ण
बहुमत
से
आई
तो
ये
दर
60
से
ऊपर
थी.
उन्होंने
कहा
कि
अब
जब
मोदी
तीसरी
बार
पीएम
बनने
जा
रहे
है
तो
ये
साक्षरता
दर
70
के
ऊपर
होगी
यानी
पीएम
को
सभी
वर्गों
का
प्यार
मिलता
है.