राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल 3 श्रीलंकाई कोलंबो रवाना, 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट से हुए थे रिहा

राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल 3 श्रीलंकाई कोलंबो रवाना, 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट से हुए थे रिहा
राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल 3 श्रीलंकाई कोलंबो रवाना, 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट से हुए थे रिहा


पूर्व
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
(फाइल
फोटो)


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source:
PTI

पूर्व
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
हत्याकांड
में
सजा
काट
चुके
तीन
श्रीलंकाई
बुधवार
को
कोलंबो
रवाना
हो
गए.
सुप्रीम
कोर्ट
के
रिहा
किये
जाने
के
करीब
2
साल
के
बाद
ये
तीनों
श्रीलंकाई
वाहन
से
कोलंबो
के
लिए
रवाना
हुए
हैं.
इन
तीनों
के
नाम
हैं-
वी
मुरुगन
उर्फ
​​श्रीकरण,
एस
जयकुमार
और
बी
रॉबर्ट
पायस.
ये
तीनों
श्रीलंकाई
नागरिक
पूर्व
प्रधानमंत्री
की
हत्या
के
सिलसिले
में
तीन
दशक
की
जेल
की
सजा
काट
चुके
थे
और
दो
साल
पहले
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इन्हें
रिहा
करने
का
आदेश
दिया
था.

तमिलनाडु
सरकार
ने
पिछले
महीने
मद्रास
हाईकोर्ट
को
बताया
था
कि
श्रीलंकाई
उच्चायोग
ने
मुरुगन
और
बाकी
लोगों
को
ट्रेवल
डॉक्यूमेंट्स
दिए
थे.
और
कहा
था
कि
विदेशी
क्षेत्रीय
पंजीकरण
कार्यालय
(एफआरआरओ)
के
निर्वासन
आदेश
जारी
होने
के
बाद
वे
घर
लौट
सकते
हैं.
इससे
पहले
मुरुगन
ने
कोर्ट
में
याचिका
दायर
करके
संबंधित
अधिकारियों
को
एक
फोटो
पहचान
पत्र
रिलीज
कराने
का
निर्देश
देने
की
मांग
की
थी.

नलिनी
ने
की
मुरुगन
से
मुलाकात

तीनों
श्रीलंकाई
शख्स
नवंबर
2022
में
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
रिहा
किए
गए
सात
दोषियों
में
से
हैं.
उनको
रिहा
करने
के
बाद
तिरुचिरापल्ली
में
एक
विशेष
शिविर
में
रखा
गया
था.
इससे
पहले
मुरुगन
की
पत्नी
नलिनी
ने
भी
कोर्ट
का
रुख
किया
था
और
अपने
पति
की
रिहाई
की
गुहार
लगाई
थी,
साथ
ही
उसके
पासपोर्ट
को
लेकर
श्रीलंकाई
हाई
कमीशन
के
सामने
पेश
होने
की
अनुमति
मांगी
थी.
पूरे
मामले
में
नलिनी
और
उसके
पति
मुरुगन
का
इरादा
ब्रिटेन
में
रह
रही
उनकी
बेटी
को
वापस
बुलाना
था.

इस
मामले
में
दोषी
ठहराए
गए
एक
अन्य
लंकाई
नागरिक
संथन
की
हाल
ही
में
यहां
मौत
हो
गई
थी.
मामले
में
दोषी
ठहराये
गये
और
रिहा
किये
गये
पेरारीवलन,
रविचंद्रन
और
नलिनी
भारतीय
हैं.
बुधवार
को
नलिनी
ने
घर
जाने
से
पहले
मुरुगन
और
अन्य
के
साथ
कोलंबो
एयरपोर्ट
पर
मुलाकात
की.

91
में
राजीव
गांधी
पर
हुआ
था
हमला

श्रीपेरंबुदूर
के
पास
21
मई,
1991
को
पूर्व
प्रधानमंत्री
राजीव
गांधी
के
ऊपर
प्रतिबंधित
लिट्टे
के
आत्मघाती
दस्ते
ने
हमला
कर
दिया
था.
जिसमें
उनकी
मौत
हो
गई
थी.
इस
मामले
में
सात
लोगों
को
दोषी
ठहराया
गया
था,
जिनमें
से
नलिनी
समेत
चार
को
मौत
की
सज़ा
दी
गई
थी
लेकिन
बाद
में
इसे
उम्रकैद
में
बदल
दिया
गया
था.
नवंबर
2022
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
उनकी
समयपूर्व
रिहाई
का
आदेश
दिया
था,
उससे
पहले
उन
सभी
सातों
ने
30
साल
से
अधिक
जेल
की
सजा
काट
ली
थी.