लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकता… NDA के साथ जाने पर RLD के बड़े नेता ने छोड़ा जयंत का साथ

लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकता… NDA के साथ जाने पर RLD के बड़े नेता ने छोड़ा जयंत का साथ
लोकतंत्र खत्म होते नहीं देख सकता… NDA के साथ जाने पर RLD के बड़े नेता ने छोड़ा जयंत का साथ


शाहिद
सिद्दीकी
और
जयंत
चौधरी

आगामी
लोकसभा
चुनाव
से
पहले
आरएलडी
प्रमुख
जयंत
चौधरी
समाजवादी
पार्टी
से
नाता
तोड़कर
बीजेपी
का
दामन
थामा
था.
इन
दिनों
जयंत
एनडीए
गठबंधन
के
साथ
चुनाव
प्रचार
में
लगे
हैं.
इस
बीच
आरएलडी
प्रमुख
को
बड़ा
झटका
लगा
है.
पूर्व
सांसद
और
आरएलडी
के
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
शाहिद
सिद्दीकी
ने
पार्टी
से
इस्तीफा
दे
दिया
है.
इस
बात
की
जानकारी
उन्होंने
अपने
सोशल
मीडिया
प्लेटफार्म
एक्स
(पहले
ट्विटर)
पर
दी.

शाहिद
सिद्दीकी
ने
सोशल
मीडिया
पर
एक
के
बाद
एक
कई
पोस्ट
शेयर
किए
है.
पोस्ट
में
उन्होंने
लिखा
है
कि
उन्होंने
अपना
त्यागपत्र
राष्ट्रीय
लोकदल
के
अध्यक्ष
जयंत
चौधरी
को
भेज
दिया
है.
इसके
आगे
उन्होंने
लोकतंत्र
का
हवाला
देते
हुए
कहा
कि
वो
चुपचाप
खामोशी
के
साथ
देश
के
लोकतांत्रिक
ढांचे
को
समाप्त
होते
नहीं
देख
सकते.
इसके
साथ
ही
उन्होंने
पार्टी
अध्यक्ष
और
बाकी
साथियों
का
आभार
भी
जताया.

ये
भी
पढ़ें

‘हम
एक
दूसरे
का
सम्मान
करते
हैं’

एक
दूसरी
पोस्ट
में
शाहिद
सिद्दीकी
ने
लिखा
है
कि
हमने
साथ
में
6
सालों
तक
काम
किया
है
और
हम
एक
दूसरे
का
सम्मान
करते
हैं.
पोस्ट
में
उन्होंने
जयंत
चौधरा
को
अपना
छोटा
भाई
बताया.
उन्होंने
कहा
कि
वो
जयंत
को
एक
सहकर्मी
से
ज्यादा
एक
छोटे
भाई
के
रूप
में
देखते
हैं.
हम
महत्वपूर्ण
मुद्दों
पर
और
विभिन्न
समुदायों
के
बीच
भाईचारे
और
सम्मान
का
माहौल
बनाने
में
कंधे
से
कंधा
मिलाकर
खड़े
हुए
हैं.
इसके
आगे
उन्होंने
लिखा
कि
हम
दोनों
जिन
संवैधानिक
मूल्यों
को
संजोते
हैं,
उनके
प्रति
आपकी
प्रतिबद्धता
पर
कोई
संदेह
नहीं
कर
सकता.

‘जयंत
और
पार्टी
के
लिए
दिल
में
स्नेह
है’

इसके
आगे
शाहिद
सिद्दीकी
ने
कहा
कि
अब
आरएलडी
का
हिस्सा
बनने
से
वो
असमंजस
में
पड़
गए
हैं.
शाहिद
सिद्दीकी
ने
कहा
कि
दिल
और
दिमाग
के
बीच
काफी
जद्दोजहद
के
बाद
वो
इस
निष्कर्ष
पर
पहुंचे
हैं
कि
वो
बीजेपी
के
नेतृत्व
वाले
गठबंधन
से
जुड़ने
में
असमर्थ
महसूस
करते
हैं
उन्होंने
जयंत
चौधरा
के
लिए
ये
भी
लिखा
कि
वो
उनकी
राजनीतिक
मजबूरियों
से
वाकिफ
हैं
ऐसे
में
वो
कोई
सलाह
नहीं
दे
सकते.
लेकिन
खुद
इस
अभियान
का
हिस्सा
नहीं
बन
सकते
ऐसे
में
आरएलडी
से
अलग
होने
का
फैसला
किया
है.
उन्होंने
कहा
कि
उनके
दिल
में
जयंत
चौधरी
और
पार्टी
के
लिए
सम्मान
और
स्नेह
है.

‘लोकतंत्रव
खतरे
में
हो
तो
खामोश
रहना
पाप
है’

इसके
साथ
ही
एक
और
पोस्ट
शेयर
करते
हुए
शाहिद
सिद्दीकी
ने
कहा
कि
उन्होंने
राष्ट्रीय
लोकदल
की
सदस्यता
और
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
के
पद
से
त्यागपत्र
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
जयंत
सिंह
जी
को
भेज
दिया
है.
उन्होंने
कहा
कि
आज
जब
भारत
का
संविधान
और
लोकतांत्रिक
ढांचा
खतरे
में
है
तो
ऐसे
में
खामोश
रहना
पाप
है.
इसके
आगे
उन्होंने
लिखा
कि
वो
भारी
मन
से
आरएलडी
से
दूरी
बनाने
के
लिए
मजबूर
है.
उनके
लिए
भारत
की
एकता
,
अखंडता
विकास
और
भाईचारा
सर्वप्रिय
है
और
इसे
बचाना
हर
नागरिक
की
जिम्मेदारी
और
धर्म
है.

आपको
बता
दें
कि
शाहिद
सिद्दीकी
के
जयंत
के
चौधरी
के
परिवार
के
साथ
पारिवारिक
रिश्ते
हैं.
उनके
पिता
अजीत
सिंह
के
साथ
भी
शाहिद
का
करीबी
रिश्ता
था.
शाहिद
सिद्दीकी
और
जयंत
चौधरी
ने
एक
साथ
मिलकर
2016
में
सामाजिक
एकता
मंच
की
स्थापना
की
थी.
आरएलडी
में
शामिल
होने
से
पहले
शाहिद
समाजवादी
पार्टी
में
महासचिव
के
पद
पर
थे.