

शिमोगा
लोकसभा
सीट.
शिमोगा
कर्नाटक
की
हाई
प्रोफाइल
सीट
है.
यहां
की
सियासत
में
लिंगाय,
दिवारू,
मुसलमान,
ब्राह्मण
और
वोक्कालिगा
जातियां
कुल
मिलाकर
निर्णायक
होती
हैं.
इस
सीट
पर
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
ने
जीत
का
परचम
लहराया
था.
यहां
से
पूर्व
मुख्यमंत्री
बी.एस.
येदियुरप्पा
के
बेटे
बीवाई
राघवेंद्र
सांसद
चुने
गए
थे.
इसके
पहले
2018
में
हुए
उपचुनाव
में
बीवाई
राघवेंद्र
ने
मधु
बंगरप्पा
को
शिकस्त
दी
थी.
जानकारी
के
मुताबिक
इस
सीट
पर
2014
में
हुए
लोकसभा
चुनाव
में
बी
एस
येदियुरप्पा
ने
जबरदस्त
जीत
हासिल
की
थी.
उन्होंने
अपने
नजदीकी
प्रतिद्वंद्वी
मंजूनाथ
भंडारी
को
तीन
लाख
से
भी
ज्यादा
वोटों
से
हराया
था.
ऐसा
माना
जा
रहा
है
कि
2019
के
मुकाबले
2024
में
शिमोगा
लोकसभा
सीट
पर
भाजपा
और
कांग्रेस
के
बीच
कड़ी
टक्कर
देखने
को
मिल
सकती
है.
शिमोगा
सीट
का
सियासी
इतिहास
दरअसल
शिमोगा
लोकसभा
सीट
का
अस्तित्व
1952
में
आया
था.
यहां
से
पहली
बार
कांग्रेस
के
केजी
वोडेयार
सांसद
चुने
गए
थे.
1957
में
केजी
वोडेयार
दोबारा
सांसद
चुने
गए.
1962
में
एसवी
कृष्णमूर्ति
राव
कांग्रेस
के
टिकट
पर
सांसद
निर्वाचित
हुए.
1967
में
संयुक्त
सोशलिस्ट
पार्टी
के
जेएच
पटेल
सांसद
चुने
गए
थे.
वहीं
1971
में
कांग्रेस
से
टीवी
चन्द्रशेखरप्पा
और
1977
में
एआर
बद्रीनारायण
सांसद
चुने
गए.
1980
में
एसटी
क्वाड्री
कांग्रेस
से
सांसद
बने.
1984
और
1989
में
टीवी
चन्द्रशेखरप्पा
कांग्रेस
के
टिकट
पर
लगातार
दूसरी
बार
सांसद
चुने
गए.
1991
में
कांग्रेस
ने
केजी
शिवप्पा
को
टिकट
दिया
और
वो
सांसद
बनकर
लोकसभा
पहुंचे.
1996
में
एस.
बंगरप्पा
कर्नाटक
जनता
पक्ष
के
सिंबल
पर
लोकसभा
पहुंचे.
वहीं
1998
में
भाजपा
के
अयानुर
मंजूनाथ
यहां
से
सांसद
निर्वाचित
हुए.
1999
में
कांग्रेस
से
एस.
बंगरप्पा
ने
इस
सीट
का
प्रतिनिधित्व
किया.
हालांकि
2004
में
एस.
बंगरप्पा
भाजपा
के
टिकट
पर
चुनाव
मैदान
में
उतरे
और
दोबारा
सांसद
बने.
इसके
बाद
2005
में
हुए
उपचुनाव
में
एस.
बंगरप्पा
ने
समाजवादी
पार्टी
का
दामन
थाम
लिया
और
जीत
दर्ज
की.
2009
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
बीएस
येदियुरप्पा
के
बेटे
पर
बीजेपी
ने
भरोसा
जताया
और
बीवाई
राघवेंद्र
ने
जीत
हासिल
की.
2014
में
खुद
में
बीएस
येदियुरप्पा
यहां
से
चुनाव
लड़े
और
सांसद
चुने
गए.
हालांकि
2018
के
उपचुनाव
और
2019
के
आम
चुनाव
में
बीवाई
राघवेंद्र
ने
भाजपा
के
टिकट
पर
जीत
दर्ज
की
मतदाता
और
सामाजिक
तानाबाना
शिमोगा
का
नाम
भगवान
शिव
के
नाम
पर
पड़ा
है.
वैसे
इसका
ऑफिसियल
नाम
शिवमोग्गा
है.
बताया
जाता
है
कि
इस
शहर
की
स्थापना
तीसरी
शताब्दी
में
सम्राट
अशोक
ने
की
थी.
यह
शहर
अपने
शिक्षण
संस्थानों
के
लिए
मशहूर
है.
अंग्रेजों
के
शासन
काल
में
भी
शहर
में
कई
शिक्षण
संस्थाओं
की
स्थापना
की
गई
थी.
2019
के
आंकड़ों
के
मुताबिक
शिमोगा
की
आबादी
20
लाख
के
करीब
है.
इनमें
15.62
लाख
वोटर्स
हैं.
कुल
वोटर्स
में
पुरुषों
की
संख्या
7.78
लाख
और
महिलाओं
की
संख्या
7.83
लाख
है.
यहां
की
31
फीसदी
आबादी
शहरों
में
रहती
है
जबकि
करीब
69
फीसदी
आबादी
गांवों
में
गुजारा
करती
है.
शिमोगा
लोकसभा
क्षेत्र
में
8
विधानसभा
सीटें
आती
हैं.
2019
चुनाव
का
परिणाम
-
विजेता
–
बीवाई
राघवेंद्र
(बीजेपी) -
वोट
मिले
–
729,872 -
वोट
(%)
–
56.86 -
उपविजेता
–
एस.
मधु
बंगारप्पा
(जनता
दल
एस) -
वोट
मिले
–
5,06,512 -
वोट
(%)
–
39.46 -
अंतर
2,23,360
2018
उपचुनाव
का
परिणाम
-
विजेता
–
बी
वाई.
राघवेंद्र
(भाजपा) -
वोट
मिले
–
543,306 -
वोट
(%)
–
50.73 -
उपविजेता
–
एस.
मधु
बंगारप्पा
(जनता
एस) -
वोट
मिले
–
4,91,158 -
वोट
(%)
–
45.86 -
अंतर
1499
2014
चुनाव
का
परिणाम
-
विजेता
–
बीवी
नायक
(कांग्रेस) -
वोट
मिले
–
4,43,659 -
वोट
(%)
–
45.78 -
उपविजेता
–
के.
शिवनगौड़ा
नाइक
(कांग्रेस) -
वोट
मिले
–
4,42,160 -
वोट
(%)
–
45.63 -
अंतर
52148
कब
किसने
मारी
बाजी
-
1952
–
केजी
वोडेयार
–
कांग्रेस -
1957
–
केजी
वोडेयार
–
कांग्रेस -
1962
–
एसवी
कृष्णमूर्ति
राव
–
कांग्रेस -
1967
–
जेएच
पटेल
–
संयुक्त
सोशलिस्ट
पार्टी -
1971
–
टीवी
चन्द्रशेखरप्पा
–
कांग्रेस -
1977
–
एआर
बद्रीनारायण
–
कांग्रेस -
1980
–
एसटी
क्वाड्री
–
कांग्रेस -
1984
–
टीवी
चन्द्रशेखरप्पा
–
कांग्रेस -
1989
–
टीवी
चन्द्रशेखरप्पा
–
कांग्रेस -
1991
–
केजी
शिवप्पा
–
कांग्रेस -
1996
–
एस.
बंगरप्पा
–
कर्नाटक
जनता
पक्ष -
1998
–
अयानुर
मंजूनाथ
–
भाजपा -
1999
–
एस.
बंगरप्पा
–
कांग्रेस -
2004
–
एस.
बंगरप्पा
–
भाजपा -
2005
(उपचुनाव)
–
एस.
बंगरप्पा
–
समाजवादी
पार्टी -
2009
–
बीवाई
राघवेंद्र
–
भाजपा -
2014
–
बीएस
येदियुरप्पा
–
भाजपा -
2018
(उपचुनाव)
–
बीवाई
राघवेंद्र
–
भाजपा -
2019
–
बीवाई
राघवेंद्र
–
भाजपा