

बदायूं
के
गुन्नौर
विधानसभा
क्षेत्र
में
एक
कार्यकर्ता
सम्मेलन
को
संबोधित
करते
शिवपाल
सिंह
यादव
भतीजे
अखिलेश
यादव
ने
चाचा
शिवपाल
यादव
को
लोकसभा
का
टिकट
दे
दिया
है
पर
शिवपाल
को
दिल्ली
की
राजनीति
पसंद
नहीं
है.
उनका
मन
तो
बस
लखनऊ
में
ही
रमता
है.
वे
किसी
भी
तरह
अपना
टिकट
कटवाना
चाहते
हैं.
समाजवादी
पार्टी
ने
उन्हें
बदायूं
से
उन्हें
उम्मीदवार
बनाया
है.
अखिलेश
यादव
ने
पहले
यहां
से
अपने
चचेरे
भाई
धर्मेंद्र
यादव
को
टिकट
दिया
था.
वे
बदायूं
से
दो
बार
सांसद
भी
रह
चुके
हैं.
धर्मेन्द्र
का
टिकट
काट
कर
ही
शिवपाल
यादव
को
टिकट
दिया
गया
था
पर
शिवपाल
यादव
अपने
बदले
अपने
बेटे
आदित्य
यादव
को
चुनाव
लड़वाना
चाहते
हैं.
अब
फैसला
पार्टी
के
अध्यक्ष
अखिलेश
यादव
को
करना
है.
लंबे
समय
बाद
मंगलवार
को
मुलायम
परिवार
के
तीन
सदस्य
एक
साथ
बदायूं
में
थे.
शिवपाल
यादव,
उनके
बेटे
आदित्य
यादव
और
भतीजा
धर्मेन्द्र
यादव.
बदायूं
के
गुन्नौर
विधानसभा
क्षेत्र
में
एक
कार्यकर्ता
सम्मेलन
था.
इसी
सम्मेलन
में
शिवपाल
यादव
ने
अपने
मन
की
बात
सार्वजनिक
कर
दी.
उन्होंने
मंच
से
कहा
कि
वे
चाहते
हैं
कि
उनका
बेटा
आदित्य
चुनाव
लड़े.
मीटिंग
में
मौजूद
सभी
कार्यकर्ताओं
ने
इसका
स्वागत
किया.
शिवपाल
की
बात
पर
सभी
राजी
शिवपाल
की
बात
पर
सबने
कहा
कि
हम
सब
आदित्य
के
लिए
जान
लगा
देंगे.
मंच
पर
मौजूद
धर्मेन्द्र
यादव
ने
कहा
कि
चाचा
के
साथ
काम
करने
में
हिचक
थी,
लेकिन
भाई
आदित्य
के
लिए
पूरी
मेहनत
करूंगा.
चाचा
शिवपाल
यादव
को
लोकसभा
चुनाव
लड़ने
की
रत्ती
भर
इच्छा
नहीं
है.
वे
तो
शुरू
से
ही
इसका
विरोध
कर
रहे
हैं.
कहा
जाता
है
कि
जब
अखिलेश
ने
पहली
बार
उनके
सामने
ये
प्रस्ताव
रखा,
तब
भी
शिवपाल
तैयार
नहीं
हुए
थे,
लेकिन
अखिलेश
नहीं
माने.
उन्होंने
धर्मेन्द्र
का
टिकट
काट
कर
शिवपाल
का
नाम
आगे
कर
दिया.
अखिलेश
को
लग
रहा
था
कि
धर्मेन्द्र
चुनाव
मज़बूती
से
नहीं
लड़
पायेंगे.
जबकि
शिवपाल
को
लगता
है
कि
अखिलेश
उन्हें
यूपी
की
राजनीति
से
बाहर
करना
चाहते
हैं.
अब
तक
छह
सीटों
पर
सपा
बदल
चुकी
है
उम्मीदवार
हाल
के
दिनों
में
समाजवादी
पार्टी
को
छह
सीटों
पर
टिकट
बदलना
पड़ा
है.
सोमवार
को
मेरठ
में
भानु
प्रताप
का
टिकट
काट
कर
अतुल
प्रधान
को
मिल
गया.
उससे
पहले
मुरादाबाद
में
टिकट
बदलने
पर
ज़बरदस्त
ड्रामा
हुआ.
शिवपाल
यादव
को
लग
रहा
है
कि
जब
इतने
टिकट
बदल
सकते
हैं.
तो
फिर
बदायूं
में
उनके
बदले
आदित्य
को
टिकट
क्यों
नहीं
मिल
सकता.
अखिलेश
का
मानना
है
कि
परिवार
के
नए
सदस्यों
के
चुनाव
लड़ने
से
बीजेपी
को
फायदा
हो
सकता
है.
शिवपाल
की
बात
के
क्या
हैं
मायनें?
वैसे
भी
पीएम
नरेंद्र
मोदी
लगातार
परिवारवाद
का
मुद्दा
उठा
रहे
हैं.
अब
तक
चाचा
शिवपाल
यादव
परिवार
में
और
पार्टी
फ़ोरम
पर
अपनी
बात
रख
रहे
थे.
लेकिन
अब
इस
बात
को
उन्होंने
सार्वजनिक
कर
दिया
है.
अब
तो
सब
जान
गए
कि
शिवपाल
लोकसभा
चुनाव
नहीं
लड़ना
चाहते
हैं.
एक
तरह
से
ये
अखिलेश
यादव
पर
भी
दबाव
बनाने
की
कोशिश
है.