
इंदौर
नगर
निगम
में
घोटाला।
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
इंदौर
नगर
निगम
में
हुए
100
करोड़
के
घोटाले
में
सरकार
ने
चार
अफसरों
को
निलंबित
किया
है।
यह
अफसर
लेखा
विभाग
के
है।
उनकी
जिम्मेदारी
थी
कि
फाइलों
को
बारिकी
से
निरीक्षण
कर
भुगतान
के
लिए
उसे
भेजे,लेकिन
उन्होंने
इस
काम
में
लापरवाही
बरती
और वे
खुद
घोटाले
में
लिप्त
पाए
गए।
चारों
अफसर
लंबे
समय
से
स्थानीय
अंकेक्षण
विभाग
में
पदस्थ
थे।
वित्त
विभाग
के
अवर
सचिव
विजय
कठाने
ने
संयुक्त
संचालक
अनिल
कुमार
गर्ग
को
निलंबित
किया।
गर्ग
ने
ही
फर्जी
फाइलों
के
बिलों
को
मंजूरी
दी
थी
और
ठेकेदारों
को
भुगतान
भी
हो
गया
था।
गर्ग
के
अलावा
उप
संचालक
समर
सिंह
परमार,
रामेश्वर
परमार
व
जेए
अेाहरिया
को
भी
निलंबित
किया
गया
है।
चारों
को
सागर
में
भेेजा
गया
है।
इन
चारों
अफसरों
ने
बिल
मंजूर
किए
थे,जबकि
यदि
वे
फाइलों
का
बारिकी
से
निरीक्षण
करते
तो
घोटाला
पहले
ही
पकड़
में
आ सकता
था।
इन
चारों
अफसरों
की
घोटाले
में
जांच
को
लेकर
निगमायुक्त
शिवम
वर्मा
ने
राज्य
सरकार
को
लिखा
था।
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मेयर
ने
कहा
कि
पुराने
अफसरों
की
भूमिका
पर
उठाए
सवाल
मेयर
पुष्य
मित्र
भार्गव
ने
कहा
कि
दो
तीन
साल
पुराने
कामों
के
बिल
भुगतान
के
लिए
लगाए
गए।
यदि
बजट
में
से
राशि
कामों
के
लिए
खर्च
हो
रही
है
तो
तत्कालीन
अफसरों
की
जिम्मेदारी
थी
कि
वे
उन
कामों
का
भौतिक
सत्यापन
करें,
लेकिन
उन्होंने
इस
पर
ध्यान
नहीं
दिया।
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मेयर
ने
कहा
कि
उच्च
स्तरीय
जांच
में
उनकी
भूमिका
की
भी
जांच
होना
चाहिए।
उन्होंने
कहा
कि
घोटालेबाज
अफसरों
से
ही
घोटाले
की
राशि
वसूली
जाए,
इसके
लिए
कानून
भी
हैै।
भार्गव
ने
कहा
कि
नाला
टैपिंग
प्रोजेक्ट
की
भी
जांच
होना
चाहिए।