
नई
दिल्ली:
दिल्ली
की
एक
अदालत
ने
एक
बीमा
कंपनी
को
सिद्धार्थ
शर्मा
के
माता-पिता
को
1.98
करोड़
रुपये
का
मुआवजा
देने
का
आदेश
दिया
है.
सिद्धार्थ
की
मृत्यु
2016
में
उनकी
मृत्यु
के
समय
32
वर्ष
की
आयु
में
हुई
थी.
मोटर
दुर्घटना
दावा
न्यायाधिकरण
(एमएसीटी)
के
न्यायाधीश
और
पीठासीन
अधिकारी
डॉ
पंकज
शर्मा
की
पीठ
ने
कहा
कि
सिद्धार्थ
की
मृत्यु
एक
नाबालिग
की
लापरवाही
और
लापरवाही
से
वाहन
चलाने
के
कारण
हुई
थी.
यह
जानलेवा
दुर्घटना
4
अप्रैल,
2016
को
दिल्ली
के
सिविल
लाइंस
इलाके
में
हुई
थी.
एमएसीटी
कोर्ट
ने
6
जुलाई
को
एतिहासिक
फैसला
सुनाया
था.
इसमें
कहा
गया,
‘मनोज
अग्रवाल
ने
जानबूझकर
अपने
नाबालिग
बेटे
के
अवैध
व्यवहार
को
बढ़ावा
दे
रहे
हैं.
उन्होंने
अपने
पिछले
कर्म
से
यह
महसूस
नहीं
कर
पाए
कि
नाबालिग
बेटे
को
गाड़ी
चलाने
की
अनुमति
देने
से
दूसरों
को
नुकसान
हो
सकता
है.
वे
अपने
नाबालिग
बेटे
को
मर्सिडीज
कार
चलाने
से
रोकने
के
बजाय,
उसने
इसे
अनदेखा
किया,
जो
कि
उनकी
मौन
सहमति
को
दर्शाता
है.
वे
दुर्घटना
के
समय
घर
पर
ही
थे,
वे
बेटे
को
घर
से
मौज-मस्ती
के
लिए
कार
ले
जाने
से
नहीं
रोका,
जो
उनकी
सहमती
दिखाता
है.’
10
लाख
का
जॉब
ऑफर
अदालत
ने
अपने
फैंसले
के
दौरान
इस
बात
पर
जोर
दिया
कि
सिद्धार्थ,
अपनी
मौत
के
समय
वह
पढ़ाई
के
साथ-साथ
नौकरी
भी
कर
रहा
था,
जिसमें
उसे
हर
महीने
25
हजार
की
सैलरी
मिलती
थी.
वहीं,
मार्च
2016
में
उसे
10
लाख
के
पैकेज
की
जॉब
ऑफर
हुई
थी.
इन
सभी
तथ्यों
को
ध्यान
में
रखते
हुए,
कोर्ट
ने
सिद्धार्थ
के
माता-पिता
को
दिए
जाने
वाले
मुआवजे
की
राशि
तय
की.
न्यायालय
ने
बीमा
कंपनी
को
लगभग
1.21
करोड़
रुपये
मुआवजे
के
रूप
में
तथा
लगभग
77.61
लाख
रुपये
ब्याज
के
रूप
में
देने
का
निर्देश
दिया.
ऐसे
में
कुल
मुआवजा
1.98
करोड़
रुपये
का
हो
गया
था.
आरोपी
के
पिता
ने
क्या
मांग
की?
आरोपी
नाबालिग
के
पिता
ने
अदालत
से
मुआवजा
देने
से
खुद
को
अलग
करने
की
मांग
की,
लेकिन
उसे
खारिज
कर
दिया
गया.
इसमें
कहा
गया
कि
बीमा
कंपनी
को
सिद्धार्थ
की
मौत
के
लिए
जिम्मेदार
व्यक्ति
के
पिता
की
की
कंपनी
से
मुआवजा
राशि
वसूलने
का
अधिकार
है.
एक्सीडेंट
वाला
कार
इसी
कंपनी
के
नाम
पर
रजिस्टर्ड
था.
पुलिस
के
रिपोर्ट
में
क्या?
पुलिस
ने
बताया
कि,
नाबालिग
अपने
छह
दोस्तों
के
साथ
लापरवाही
से
काफी
स्पीड
में
कार
चला
रहा
था.
कार
से
टक्कर
के
बाद
सिद्धार्थ
लगभग
15-20
फीट
ऊपर
हवा
में
उछल
गया
और
गिरने
से
उसे
घातक
चोटें
आईं
थी.
पुलिस
ने
सीसीटीवी
फुटेज
देखने
के
बाद
आईपीसी
की
धारा
304
(गैर
इरादतन
हत्या
के
लिए
दंड)
के
तहत
केस
दर्ज
की
थी.
मृतक
की
बहन
ने
क्या
कहा?
मृतक
की
बहन
शिल्पा
मित्तल
ने
अपने
भाई
की
मौत
के
बाद
लंबी
कानूनी
प्रक्रिया
पर
निराशा
व्यक्त
की.
शिल्पा
ने
कहा,
‘आठ
साल
बीत
जाने
के
बावजूद
मामला
चल
रहा
है
और
जो
मुआवजा
तीन
साल
के
भीतर
मिल
जाना
चाहिए
था,
वह
काफी
देरी
के
बाद
मिला.
आठ
साल
हो
गए
हैं,
लेकिन
मामला
अभी
भी
चल
रहा
है.
मैं
तब
तक
लड़ूंगी
जब
तक
मेरे
भाई
को
न्याय
नहीं
मिल
जाता.’
Tags:
Delhi
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FIRST
PUBLISHED
:
July
17,
2024,
10:35
IST